Edited By Pardeep,Updated: 08 Jul, 2018 05:33 AM
भाजपा को 2014 में केन्द्र की सत्ता दिलाने में उसके उस वायदे का भी योगदान था जिसमें उसने कहा था कि वह ‘टैक्स के आतंकवाद’ को खत्म करेगी। 4 साल बीत गए हैं लेकिन सरकार अब भी इस कोशिश में ही है कि 2019 में एक बार फिर से जनता से यह वायदा न करना पड़े। कुछ...
नई दिल्ली: भाजपा को 2014 में केन्द्र की सत्ता दिलाने में उसके उस वायदे का भी योगदान था जिसमें उसने कहा था कि वह ‘टैक्स के आतंकवाद’ को खत्म करेगी। 4 साल बीत गए हैं लेकिन सरकार अब भी इस कोशिश में ही है कि 2019 में एक बार फिर से जनता से यह वायदा न करना पड़े।
कुछ दिन पहले ही केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सी.बी.डी.टी.) के चीफ ने सभी प्रमुख आयकर आयुक्तों से कहा था कि वे उन केसों पर करीबी नजर रखें जिनमें अधिक टैक्स की डिमांड की गई है। ऐसे केसों में आमतौर पर टैक्स अधिकारियों की ओर से बिना आकलन के ही टैक्स की मांग कर ली जाती है। आयकर आयुक्तों को आदेश दिया गया है कि वे ऐसे मामलों पर नजर रखें और उनमें नरमी बरती जाए।
विभिन्न टैक्स सर्कल के अधिकारियों को संबोधित करते हुए सी.बी.डी.टी. के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने एक इंटर्नल नोट में कहा कि जहां भी टैक्सपेयर्स की समस्याओं के लिए स्थानीय कमेटी का गठन किया गया है, वहां पता चला है कि कई जगहों पर अधिक टैक्स असैसमैंट किया गया और अधिकारियों से इस बारे में सफाई मांगी गई है।
गलत ढंग से कर का आकलन करने वाले अधिकारी का कर दिया जाए ट्रांसफर
चंद्रा ने कहा कि यदि टैक्स असैसमैंट ऑफिसर गलत ढंग से कर का आकलन करते हैं तो उन्हें शहर के भीतर ही ऐसे पदों पर ट्रांसफर कर दिया जाए जिनका सीधा असर न पड़ता हो। इसके अलावा उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है। अपने पत्र में चंद्रा ने कहा कि मुख्य टैक्स आयुक्तों को आदेश दिया गया है कि ऐसे मामलों में जिन्हें स्थानीय कमेटियों ने अधिक टैक्स असैसमैंट का केस बताया हो, उनमें बलपूर्वक वसूली जैसी कार्रवाई से बचना चाहिए।