आर्थिक सुस्ती का असर, टैक्स कलेक्शन के 2.5 लाख करोड़ कम रहने का अनुमान

Edited By vasudha,Updated: 20 Jan, 2020 11:32 AM

tax collection estimated to be less than 2 5 lakh crores

आयकर स्लैब में बदलाव को लेकर बढ़ती सुगबुगाहट के बीच पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अनुमान जताया कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का कर संग्रह निर्धारित लक्ष्य से करीब ढाई लाख करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान है...

बिजनेस डेस्क: आयकर स्लैब में बदलाव को लेकर बढ़ती सुगबुगाहट के बीच पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने अनुमान जताया कि चालू वित्त वर्ष में सरकार का कर संग्रह निर्धारित लक्ष्य से करीब ढाई लाख करोड़ रुपये कम रहने का अनुमान है। यह देश के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 1.2 प्रतिशत के बराबर है। उन्होंने रविवार ​को ब्लॉग में कहा कि अब समय आ गया है कि लाभांश वितरण कर को समाप्त कर दिया जाए और व्यक्तिगत आयकर कानून में सुधार लाना चाहिए। 

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पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि आयकर के मामले में करीब आठ स्लैब हैं जिनमें सबसे ऊंची कर की दर 40 प्रतिशत से भी अधिक है। उन्होंने आयकर कर ढांचे में सुधार पर जोर देते हुये कहा कि पांच लाख रुपये सालाना तक की करयोग्य आय पर कोई कर नहीं होना चाहिये। पांच से दस लाख रुपये की आय पर पांच प्रतिशत, 10 से 25 लाख पर 15 प्रतिशत, 25 से 50 लाख रुपये की वार्षिक आय पर 25 प्रतिशत और 50 लाख रुपये से अधिक की आय पर 35 प्रतिशत की दर से आयकर होना चाहिये। इस तरह का व्यक्तिगत आयकर ढांचा काफी सरल और उचित ढांचा होगा।

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गर्ग ने कहा कि इस तरह के कर ढांचे में कोई भी उपकर और अधिभार नहीं होना चाहिये। ऐसे कर ढांचे का करदाताओं के बीच स्वागत होगा। इस आयकर ढांचे का राज्य भी स्वागत करेंगे और उनकी शिकायत भी दूर होगी। इससे राजस्व प्राप्ति पर भी ज्यादा बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। बता दें कि गर्ग ने  मोदी सरकार के तीन बजट तैयार करने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि डिजिटल बैंकिंग और रिकार्ड कीपिंग का लाभ उठाते हुये लाभांश वितरण कर (डीडीटी) समाप्त करने का यह सही समय है। उन्होंने कहा कि करदाता पर लाभांश आय के लिए लगने वाला कर, उसकी आयकर दर के आधार पर ही लगेगा। 

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दूसरी तरफ किसी कंपनी द्वारा किसी व्यक्ति को 10,000 रुपये से अधिक लाभांश वितरण पर 20 प्रतिशत की दर से स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) काटने का प्रावधान रखा जा सकता है। गर्ग ने यह भी सुझाव दिया कि पूंजीगत लाभ कर में व्यापक सुधार करते हुये दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर को जारी रखा जा सकता है। उन्होंने माल एवं सेवाकर (जीएसटी) को ‘अभी भी कार्य प्रगति पर है' जैसा बताते हुए कहा कि  इनवायस अपलोडिंग और उसकी मिलान प्रक्रिया और अन्य जरूरी प्रक्रिया को पूरा करने पर पूरा ध्यान दिया जाना चाहिये। 

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