Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Aug, 2019 12:36 PM
सरकार नॉन-रेजिडेंट टेक्नॉलजी कंपनियों के लिए टैक्स के नए नियम बनाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत इन कंपनियों के लिए 20 करोड़ आमदनी और 5 लाख यूजर्स की सीमा तय की जाएगी। इस सीमा के बाद इन्हें घरेलू मार्केट में कमाए मुनाफे पर डायरेक्ट टैक्स देना होगा।
बेंगलुरुः सरकार नॉन-रेजिडेंट टेक्नॉलजी कंपनियों के लिए टैक्स के नए नियम बनाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत इन कंपनियों के लिए 20 करोड़ आमदनी और 5 लाख यूजर्स की सीमा तय की जाएगी। इस सीमा के बाद इन्हें घरेलू मार्केट में कमाए मुनाफे पर डायरेक्ट टैक्स देना होगा। इस नियम का असर गूगल, फेसबुक और ट्विटर जैसी कंपनियों पर दिखेगा। यह टैक्स सीमा 'अहम आर्थिक उपस्थिति (एसईपी)' कॉन्सेप्ट का हिस्सा है, जिसे सरकार ने पिछले साल बजट में शामिल किया था।
जानकारी के मुताबिक सरकार इस पर भी विचार कर रही है कि क्या एसईपी को ड्राफ्ट डायरेक्ट टैक्स कोड का हिस्सा बनाया जा सकता है? इस कोड के जरिए डायरेक्ट टैक्स से जुड़े सभी नियमों को एक छतरी के नीचे लाने की कोशिश कर रही है। इस ड्राफ्ट को जल्द ही वित्त मंत्रालय को सौंपे जाने की संभावना है।
मल्टिनैशनल टेक्नॉलजी कंपनियों पर आरोप लगता रहा है कि वे देश में ऑनलाइन ऐड जैसी सेवाओं से भारी आमदनी और मुनाफा कमाती हैं लेकिन इसके बावजूद काफी कम टैक्स का भुगतान करती हैं। यह पहल ऐसे समय में सामने आई है, जब दुनियाभर में और खासतौर से यूरोपियन यूनियन में बड़ी टेक कंपनियों पर टैक्स लगाने के तरीकों पर विचार हो रहा है। इस खबर को लेकर गूगल, फेसबुक और ट्विटर ने पूछे गए सवालों का जवाब नहीं दिया।
कम्युनिटी फीडबैक प्लैटफॉर्म लोकलसर्किल्स ने सोमवार को रेवेन्यू सेक्रटरी अजय भूषण पांडेय को लिखे लेटर में कहा था, 'भारत में 10 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड यूजर्स या 100 से ज्यादा पेइंग कस्टमर या 10 करोड़ से ज्यादा आमदनी वाली कंपनियों को स्थानीय स्तर पर इनवॉइस जारी करना चाहिए।' सीबीडीटी ने जुलाई 2018 में जारी एक नोटिफिकेशन में एसईपी से जुड़े नियमों को बनाने के लिए सुझाव मांगे थे। हालांकि सरकार ने अभी तक इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया है। इस मामले में तेजी तब आई, जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने जी20 के सदस्य देशों से डिजिटल कंपनियों के मुनाफे पर टैक्स से जुड़े मसले को हल करने की अपील की।
भारत एसईपी के कॉन्सेप्ट के साथ आगे बढ़ रहा है। वहीं यूरोपीय यूनियन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि वे उस देश से कमाई डिजिटल आमदनी पर 3 फीसदी का टैक्स लगा सकते हैं। हालांकि फ्रांस ने डिजिटल कंपनियों के लिए अपने अलग टैक्स नियम का ऐलान किया है। एसईपी से विदेशी डिजिटल कंपनियों को भी स्थानीय कंपनियों के बराबर टैक्स चुकाना पड़ सकता है, जो फिलहाल 35 फीसदी है। सेक्टर की गतिविधियों पर नजर रखने वाले एक एक्सपर्ट ने बताया, 'इससे सरकार के घटते खजाने को मजबूती मिलेगी। साथ ही, स्थानीय और ग्लोबल कंपनियों के साथ एक जैसा सलूक होगा।'