Budget 2021: नौकरीपेशा लोगों के लिए हो कर मुक्त बचत योजना, पढ़िए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Jan, 2021 05:32 PM

tax free savings scheme for employed people in the budget

जाने-माने अर्थशास्त्री और शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने रविवार को कहा कि सरकार को बजट में रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझले

बिजनेस डेस्कः कोरोना का कहर झेल चुके देशवासियों को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं। बजट से पहले जाने-माने अर्थशास्त्री और शोध संस्थान आरआईएस (विकासशील देशों की अनुसंधान एवं सूचना प्रणाली) के महानिदेशक सचिन चतुर्वेदी ने रविवार को महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि सरकार के बजट से क्या उम्मीदें हैं।  

रोजगार सृजन सबसे महत्वपूर्ण
उन्होंने कहा कि सरकार को बजट में रोजगार सृजन पर ध्यान देना होगा। इसके लिए सूक्ष्म, लघु एवं मझले उद्यमों (एमएसएमई) की सेहत सुधारने के साथ लोगों को स्थानीय उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण देने तथा चार-पांच उद्योगों को आगे बढ़ाने के लिए हरसंभव मदद उपलब्ध कराने की जरूरत है। 

करमुक्त बचत की योजना लाए सरकार
सोमवार को पेश होने वाले आम बजट से पहले उन्होंने यह भी कहा कि नौकरीपेशा और आम लोगों के लिए सरकार कर मुक्त दीर्घकालीन बचत योजना लाए। इससे एक तरफ बचत को प्रोत्साहन मिलेगा, दूसरा उद्योगों के लिए कोष के स्रोत भी सृजित होंगे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को संसद में 2021-22 का बजट पेश करेंगी। 

सरकार की होंगी 3 प्राथमिकताएं
बजट में सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मेरे हिसाब से सरकार के लिए तीन प्राथमिकताएं होनी चाहिए। पहला, एमएसएमई क्षेत्र पर ध्यान देने और उसकी स्थिति तथा सेहत सुधारने के लिए जो भी जरूरी हो, सहायता दी जाए।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह क्षेत्र बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार देता है। कई मामलों में देखा गया है, कुछ छोटे उद्यमों में चार-पांच लोग ही काम कर रहे हैं। एमएसएमई को कर्ज, पूंजी और प्रोत्साहन के आधार पर वर्गीकृत करने की जरूरत है। साथ ही उनके प्रदर्शन का आकलन करते हुए उनकी उत्पादकता और क्षमता बढ़ाने पर ध्यान देने की आवश्यकता है।'' 

आंकड़ों के अनुसार एमएसएमई में करीब 11 करोड़ लोगों को रोजगार मिला हुआ है जबकि निर्यात में उसकी हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘दूसरा, हमें रोजगार पैदा करने के लिए जरूरत और कौशल विकास में तालमेल बनाना होगा। कोविड-19 संकट के दौरान बड़े स्तर पर पलायन को देखते हुए स्थानीय उद्योगों और जरूरतों के हिसाब से लोगों को हुनरमंद बनाने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा, हमें ऐसे चार-पांच उद्योगों को ‘चैंपियन' बनाने की जरूरत है जहां आयात पर निर्भरता ज्यादा है तथा रोजगार सृजन के मौके हैं। इसमें इलेक्ट्रॉनिक, सौर ऊर्जा, औषधि, इलेक्ट्रॉनिक कल-पुर्जे जैसे उद्योग शामिल हैं। इन उद्योगों को प्रौद्योगिकी, बाजार, जरूरी संसाधन, कच्चे माल सहित हरसंभव मदद देकर प्रतिस्पर्धी बनाए जाने की जरूरत है।'' 

बजट में नौकरीपेशा और आम लोगों को राहत मिलने की उम्मीद से जुड़े सवाल के जवाब में चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘महामारी संकट के कारण सरकार के लिए राजस्व संग्रह पर पड़े प्रतिकूल असर को देखते हुए कर मोर्चे पर राहत की उम्मीद नहीं है। बचत दर में लगातार कमी आ रही है। महामारी के दौरान पिछले 10 महीने में यह गिरकर 21 प्रतिशत पर आ गई है। ऐसे में बचत को बढ़ाने और इसको लेकर लोगों को आकर्षित करने के लिए नई दीर्घकलीन करमुक्त बचत योजना लाने की जरूरत है।'' उन्होंने कहा कि इस पर 7 से 8 प्रतिशत ब्याज के साथ कर राहत दी जाए। इससे बचत को बढ़ावा मिलने के साथ उद्योगों के लिए भी पूंजी उपलब्ध हो सकेगी। 

राजकोषीय घाटा 7% पहुंच जाने का अंदेशा
अर्थशास्त्री ने कहा, ‘‘इसके अलावा मांग बढ़ाने के लिए नौकरीपेशा लोगों को कर प्रोत्साहन दिया जा सकता है। जैसे कि ऐसे प्रावधान किए जाएं जिससे संस्थान अगर अपने कर्मचारियों को वाहन जैसे उत्पाद खरीदने के लिए कर्ज दे तो उसपर कर प्रोत्साहन मिलेगा।'' बढ़ते राजकोषीय घाटे से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा लगभग 7 प्रतिशत पहुंच जाने का अंदेशा है जो 2020-21 के बजट अनुमान (3.5 प्रतिशत) का लगभग दोगुना है। इसका असर मुद्रास्फीति पर पड़ेगा, अत: इस पर ध्यान देने की जरूरत होगी।'' 

चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘लेकिन सरकार के लिए पूंजीगत मदों पर खर्च बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके लिए घाटे की चिंता करने की जरूरत नहीं है लेकिन जो गैर-जरूरी और उपभोग खर्च हैं, उस पर लगाम लगाने की भी आवश्यकता है।'' किसान सम्मान निधि की तरह अन्य जरूरतमंदों को सीधे नकदी सहायता दिए जाने से जुड़े सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘‘नकदी सहायता दिए जाने की जगह उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत है। यह जरूरी है कि लोग अपने पैरों पर खड़े हों यानी उद्यमिता को बढ़ावा दिया जाए। उद्योग ख़ड़ा करने की जरूरत है और उसके लिए हरसंभव मदद मिलनी चाहिए।'' 

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत दो हेक्टेयर तक के जोत वाले छोटे एवं सीमांत किसानों को सालाना तीन किस्तों में 6,000 रुपए की नकद सहायता दी जा रही है। स्वास्थ्य संकट को देखते हुए आयुष्मान भारत योजना का दायरा बढ़ाए जाने के बारे में पूछे जाने पर चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘मध्यम वर्ग को सरकार इसके दायरे में ला सकती है। लेकिन इस संदर्भ में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना पर काम किया जा सकता है। आयुर्वेद, एलोपैथी, होम्योपैथी समेत इलाज की सभी विधियों पर काम किया जाए।'' उन्होंने कहा, ‘‘इससे इलाज को लेकर जो बोझ पड़ता है, उसपर अंकुश लगेगा। इसपर राज्य सरकारें काम कर रही हैं। उन राज्यों को 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर महत्व दिए जाने की जरूरत है, जो इस दिशा में अच्छा काम कर रहे हैं।'' 
 

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