Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Apr, 2019 06:54 PM
टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने कहा है कि उसने मार्च में समाप्त हुई चौथी तिमाही में एक इलेक्टोरल ट्रस्ट को 220 करोड़ रुपए दिए हैं। कंपनी ने इस खर्च को अपने बही-खाते में अन्य खर्चों के तहत रखा है।
बेंगलुरुः टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) ने कहा है कि उसने मार्च में समाप्त हुई चौथी तिमाही में एक इलेक्टोरल ट्रस्ट को 220 करोड़ रुपए दिए हैं। कंपनी ने इस खर्च को अपने बही-खाते में अन्य खर्चों के तहत रखा है। टीसीएस का यह डोनेशन इसके द्वारा अब तक के सबसे बड़े डोनेशन में से एक है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इसका फायदा किस पार्टी को मिला है।
टीसीएस सहित टाटा समूह की कंपनियां अतीत में भी इलेक्टोरल ट्रस्ट को पैसे दे चुकी हैं। टीसीएस ने पहले प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट को पैसे दिए थे, जिसे टाटा ट्रस्ट ने 2013 में स्थापित किया था। इस ट्रस्ट ने एक अप्रैल, 2013 से लेकर 31 मार्च, 2016 के बीच कई राजनीतिक पार्टियों को पैसे दिए। इसने सबसे ज्यादा पैसे कांग्रेस और उसके बाद बीजू जनता दल को दिए। इस अवधि में टीसीएस ने केवल 1.5 करोड़ का कंट्रीब्यूशन किया था।
भारत में कई इलेक्टोरल ट्रस्ट हैं, जो कॉरपोरेट और राजनीतिक दलों के बीच मध्यस्थ हैं। इनमें सबसे बड़ा इलेक्टोरल ट्रस्ट प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट है, जिसके सबसे बड़े योगदानकर्ताओं में भारती ग्रुप और डीलएफ हैं। 2017-18 में इसने कुल जमा 169 करोड़ रुपए में से 144 करोड़ रुपए बीजेपी को दिए थे।
टाटा के प्रोग्रेसिव इलेक्टोरल ट्रस्ट द्वारा निर्वाचन आयोग के समक्ष दाखिल नवीनतम सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान इसने किसी भी राजनीतिक दल को कोई योगदान नहीं दिया और उसका घाटा 54,844 करोड़ रुपए रहा।