Edited By ,Updated: 29 Jan, 2016 01:29 PM
सरकार आगामी बजट में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की दरों को तर्कसंगत बनाने और टीडीएस कटौती की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है।
नई दिल्लीः सरकार आगामी बजट में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की दरों को तर्कसंगत बनाने और टीडीएस कटौती की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। इसके लिए सरकार न्यायमूर्ति आर वी ईश्वर समिति की सिफारिशों के मुताबिक कदम उठा सकती है। अधिकारियों का कहना है इससे कर राजस्व पर बहुत प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा लेकिन काफी समय से लंबित 'मामूली वार्षिक सीमा' में संशोधन छोटे बचतकर्ताओं और पेंशनभोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होगा।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ''सिफारिशों के लिहाज से हम बजट में टीडीएस जैसे विकल्पों पर विचार कर रहे हैं, जिससे राजस्व पर बहुत अधिक असर नहीं पड़ेगा। पूंजीगत लाभ कर जैसे मामलों में हमें गुणाभाग कर देखना होगा कि उसमें बदलाव से राजस्व में कितनी सेंध लगेगी।'' अन्य प्रमुख सिफारिशों में समिति ने सुझाव दिया कि शेयरों के व्यापार में सालाना 5 लाख रुपए से कम के आंकड़े को कारोबारी आमदनी न माना जाए और उस पर तात्कालिक पूंजीगत लाभ कर की दर को कम किया जाए ताकि छोटे कारोबारियों को पूंजी बाजार की ओर आकर्षित करने के साथ ही कानूनी अड़चनों को कम किया जा सके।
समिति ने सिफारिश की थी कि व्यक्तिगत और अविभाजित हिंदू परिवारों में टीडीएस की मौजूदा 10 फीसदी की दर को घटाकर 5 फीसदी किया जाए। प्रतिभूतियों पर ब्याज के लिए उसने टीडीएस लगाए जाने की सीमा 2,500 रुपए सालाना से बढ़ाकर 15,000 रुपए करने का प्रस्ताव रखा है और उसके लिए 5 फीसदी की दर किए जाने का सुझाव दिया है। इसी तरह अन्य माध्यमों से भी ब्याज कमाई के मामले में भी बैंकों में जमा 10,000 रुपए और अन्य माध्यमों में 5,000 रुपए की सीमा को बढ़ाकर 15,000 रुपए किए जाने का सुझाव रखा है।