तकनीकें जो बदलेंगी रियल्टी सैक्टर का स्वरूप

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Dec, 2017 10:06 AM

techniques that will change the nature of the realty sector

आज जीवन के हर क्षेत्र में नवीतम तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। हालांकि, अभी भी भारतीय रियल एस्टेट सैक्टर नवीनतम तकनीक का पूरा लाभ उठाने में नाकाम रहा है। दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर नजर डालें तो टैक्नोलॉजी ने  रियल एस्टेट सैक्टर में भी बड़ी प्रगति कर ली...

जालंधरः आज जीवन के हर क्षेत्र में नवीतम तकनीकों का प्रयोग हो रहा है। हालांकि, अभी भी भारतीय रियल एस्टेट सैक्टर नवीनतम तकनीक का पूरा लाभ उठाने में नाकाम रहा है। दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर नजर डालें तो टैक्नोलॉजी ने  रियल एस्टेट सैक्टर में भी बड़ी प्रगति कर ली है। कुछ ऐसी प्रमुख तकनीकें हैं जिनके समावेश से भारतीय रियल एस्टेट सैक्टर में बड़ा परिवर्तन आ सकता है। इनके प्रयोग से ग्राहकों, डिवैल्पर्स तथा एजैंट्स तक के लिए नए अवसर पैदा हो सकते हैं। प्रत्यक्ष रूप से इनसे रियल एस्टेट बिजनैस के तौर-तरीकों में ही बदलाव आ सकता है। रियल एस्टेट में प्रयोग हो सकने वाली ऐसी ही कुछ नवीनतम तकनीकों के बारे में आपको यहां बता रहे हैं।

ऑनलाइन पोर्टल्स में ऑटोमेशन   
इन दिनों रियल एस्टेट की काफी मार्कीटिंग ऑनलाइन माध्यमों पर होने लगी है, फिर चाहे ये ऑनलाइन पोर्टल्स हों या मोबाइल एप्लीकेशन्स। इन ऑनलाइन माध्यमों में रियल एस्टेट डाटा के ऑटोमेशन (स्वचालन) की दिशा में अपार सम्भावनाएं देखी जा रही हैं जहां उपलब्ध प्रॉपर्टीज की जानकारी ‘एडवांस्ड मशीन लॄनग टैक्रीक्स’ की मदद से स्वत: अपडेट हो सकेगी।  रियल एस्टेट से संबंधित डाटा बेहद गतिशील होता है यानी उसमें जल्द परिवर्तन होता रहता है। चूंकि ज्यादा से ज्यादा राज्य सम्पत्ति से जुड़े अपने आंकड़ों को मुक्त रूप से उपलब्ध करवाने लगे हैं तो इस इसका उपयोग करके रियल एस्टेट से जुड़ी जानकारी को अपडेट करने हेतु ऑटोमेशन का सहारा लिया जा सकता है।

आर्टफिशियल इंटैलीजैंस 
ऑटोमेशन से भी आगे बढ़ते हुए अब टैक्नोलॉजी की मदद से ऐसे-ऐसे काम किए जा रहे हैं जिनमें अत्यधिक उच्च स्तर की बुद्धिमता की आवश्यकता होती है। आर्टफिशियल इंटैलीजैंस कम्प्यूटरों तथा मशीनों को और अधिक कुशल बना सकती है। रियल एस्टेट सैक्टर में मशीन लॄनग टैक्रीक्स तथा डीप लॄनग का प्रयोग बढऩे पर उपलब्ध जानकारी की गुणवत्ता तो कई गुना बढ़ेगी ही, साथ ही उस जानकारी पर क्रियान्वयन भी बेहतर हो जाएगा।

डीप लर्निंग
इस वक्त रियल एस्टेट में जानकारी अलग-अलग तौर-तरीकों  में उपलब्ध है। यदि हम कमर्शियल रियल एस्टेट मार्कीट को ही देखें तो लीज दस्तावेज अक्सर एकसमान प्रारूप में तैयार नहीं किए जाते हैं। इससे इनकी तुलना या इनमें से जानकारी प्राप्त करना जटिल हो जाता है। हालांकि, ‘एडवांस्ड आर्टफिशियल टैक्नीक्स’ जिसे ‘डीप लर्निंग’ भी कहा जाता है, की सहायता से कम्प्यूटरों के लिए लीज में दी गईं विभिन्न शर्तों अथवा धाराओं का विश्लेषण करना सम्भव हो सकता है।

डिजीटल फॉर्मेट
बिल्डरों तथा ब्रोकरों के दफ्तरों में काफी सारा डाटा फाइलों में बंद पड़ा है। इनमें नई लांच होने जा रही परियोजनाओं के ब्रोशर से लेकर अन्य इमारतों आदि के प्लान, कानूनी दस्तावेज, कांट्रैक्ट्स, प्रबंधन से जुड़े कागजात आदि शामिल हैं। वक्त के साथ ये सभी डिजीटल फॉर्मेट में बदल जाएंगे। इसका लाभ ऑनलाइन माध्यमों पर ज्यादा से ज्यादा जानकारी उपलब्ध होने के रूप में ग्राहकों को होगा। इससे उनके लिए अपनी पसंद की सम्पत्ति का चयन करना सरल हो जाएगा।

इंटरनैट ऑफ थिंग्स
इंटरनैट ऑफ थिंग्स (आई.ओ.टी.) लोगों सहित आपस में जुड़ी चीजों का एक विशाल तंत्र है। इस तकनीक में लोगों का लोगों के साथ, लोगों का चीजों के साथ तथा चीजों का चीजों के साथ संबंध स्थापित किया जा सकता है। सरल शब्दों में कहें तो इस तकनीक की मदद से लोग विभिन्न उपकरणों को दुनिया में कहीं से भी नियंत्रित कर सकते हैं अथवा कहीं से भी अपने घर पर नजर रख सकते हैं।  

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