Edited By Supreet Kaur,Updated: 26 Dec, 2019 12:21 PM
दुनिया की सबसे सस्ती टैलीकॉम सेवाएं देने वाला भारत की दूरसंचार इंडस्ट्री आज की तारीख में गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। संकट कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वोडाफोन के प्रबंधन ने साफ तौर पर कह दिया है ...
नई दिल्लीः दुनिया की सबसे सस्ती टैलीकॉम सेवाएं देने वाला भारत की दूरसंचार इंडस्ट्री आज की तारीख में गंभीर संकट के दौर से गुजर रही है। संकट कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वोडाफोन के प्रबंधन ने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर सरकार ने उसकी मदद नहीं की तो कम्पनी पर ताला लगने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।
इंडस्ट्री पर 1.47 लाख करोड़ रुपए का बकाया
दरअसल टैलीकॉम इंडस्ट्री अरबों डॉलर के कर्ज में डूबी है और ऊपर से जियो द्वारा छेड़े गए प्राइस वॉर ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है। हालत यह है कि लगातार घाटे के चलते कई कम्पनियां इस सैक्टर से बाहर निकल चुकी हैं। फिलहाल इंडस्ट्री पर 1.47 लाख करोड़ रुपए का बकाया है। साल 2019 में अमरीका में 1 जीबी मोबाइल डाटा की कीमत 12.37 डॉलर और ब्रिटेन में 6.66 डॉलर रही, जबकि भारत में महज 0.26 डॉलर है, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे सस्ता डाटा उपलब्ध कराने वाला देश बनकर उभरा है। साथ ही, यह दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ने वाली टैलीकॉम मार्कीट है।
समझने वाली बात यह है कि एक समय इस इंडस्ट्री में 7-8 कम्पनियां होती थीं जो घटकर 3 पर पहुंच गईं और चौथी कम्पनी सरकारी है। ऐसी स्थिति में वोडाफोन-आइडिया की चेतावनी ताबूत की आखिरी कील की तरह लगती है। प्राइस वॉर में एयरटैल तथा वोडा-आइडिया को रिकॉर्ड घाटा हुआ, जबकि जियो का फायदा साल-दर-साल बढ़ता गया। दूरसंचार कम्पनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन सैल्यूलर ऑप्रेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) चाहता है कि ट्राई मार्च से पहले जल्द से जल्द डाटा के लिए फ्लोर प्राइस लाए।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सांसत में जान
सुप्रीम कोर्ट द्वारा नॉन-कोर रैवेन्यू को भी कम्पनियों के ग्रॉस एडजस्टेड रैवेन्यू (एजीआर)में शामिल करने के आदेश से मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कम्पनी जियो तथा पुरानी टैलीकॉम कम्पनियों के बीच प्रतिद्वंद्विता और बढ़ गई है हालांकि टैरिफ बढ़ाने तथा रैगुलेटर द्वारा फ्लोर या न्यूनतम टैरिफ तय करने के लिए किए जा रहे हस्तक्षेप का दोनों पक्षों द्वारा समर्थन करने के संकेत मिले हैं।
एयरटैल को रिकॉर्ड नुक्सान
बकाया को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर 28,450 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग करने से एयरटैल को 30 सितम्बर को समाप्त हुई तिमाही में 23,045 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ। एयरटैल तथा वोडाफोन-आइडिया दोनों ही कम्पनियों ने सरकार से इंट्रस्ट तथा पनैल्टी में राहत की मांग की है और सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका भी दायर की है।