देनदारी के बोझ, गलाकाट प्रतिस्पर्धा के बीच पूरे साल त्राहिमाम पुकारता रहा दूरसंचार क्षेत्र

Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Dec, 2019 06:52 PM

telecom sector has been calling for a whole year amid the burden of liability

भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के लिए साल 2019 में समस्याएं गहराती रहीं और पुरानी कंपनियां अस्तित्व बचाने के लिए सरकार तथा विनियामक ट्राई से लगातार बचाव की पुकार करती रहीं। कीमतों को लेकर छिड़ी जंग के बीच अरबों डॉलर की भारी-भरकम देनदारी ने दूरसंचार...

नई दिल्लीः भारतीय दूरसंचार क्षेत्र के लिए साल 2019 में समस्याएं गहराती रहीं और पुरानी कंपनियां अस्तित्व बचाने के लिए सरकार तथा विनियामक ट्राई से लगातार बचाव की पुकार करती रहीं। कीमतों को लेकर छिड़ी जंग के बीच अरबों डॉलर की भारी-भरकम देनदारी ने दूरसंचार कंपनियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं और उद्योग के सामने अस्तित्व का खतरा मंडराने लगा है। सेवाओं की दर को लेकर नई और पुरानी दूरसंचार कंपनियों में छिड़ी जंग से उनके मुनाफे पर असर पड़ा है और बहुत सी कंपनियां बाजार से बाहर हो गई हैं। 

हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार कंपनियों को उनके दूसरे कार्यों से आय (गैर-संचार राजस्व) को सकल समयोजित आय (एजीआर) की परिभाषा में शामिल करने का आदेश दिया था। इससे पुरानी दूरसंचार कंपनियों और रिलायंस जियो के बीच एक बार फिर जंग शुरू हो गई। हालांकि इसी दौरान सेवाओं की दरें बढ़ाने और न्यूनतम शुल्क तय करने के लिए कंपनियों के बीच बनी सहमति युद्ध विराम के संकेत देती है। 

दूरसंचार कंपनियों के शीर्ष संगठन सीओएआई के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, "हम सभी बुनियादी तौर पर मोबाइल कॉलिंग नेटवर्क से चल कर हाइब्रिड नेटवर्क (वॉयस एवं इंटरनेट डेटा) की ओर गए और अब जल्दी ही पूरी तरह डेटा नेटवर्क होने जा रहे हैं।" उन्होंने कहा, "इस लिहाज से मार्च 2020 से पहले मोबाइल सेवा के लिए टैरिफ प्लान या न्यूनतम शुल्क तय करने की जरूरत है।" भारत 2019 में दुनिया का सबसे सस्ता दूरसंचार शुल्क वाला देश बनकर उभरने के साथ सबसे तेजी से बढ़ रहा दूरसंचार बाजार भी है। यहां एक जीबी डेटा की कीमत 0.26 डॉलर है तो ब्रिटेन में एक जीबी डेटा के लिए ग्राहकों को 6.66 डॉलर और अमेरिका में 12.37 डॉलर खर्च करने पड़ते हैं। 

उच्चतम न्यायालय ने 24 अक्टूबर को सरकार की याचिका पर दूरसंचार कंपनियों को पुराने बकाये का भुगतान एजीआर की नई परिभाषा के अनुरूप करने का आदेश दिया था। अनुमान है कि इससे दूरसंचार कंपनियों पर कुल 1.47 लाख करोड़ रुपए की सांविधिक देनदारी निकल आयी है। कंपनियों ने न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की है। वोडाफोन आइडिया ने कहा है कि भुगतान के मामले में सरकार की ओर से राहत नहीं मिलने पर उसे कारोबार बंद करना पड़ सकता है। दूरसंचार उद्योग सात से आठ कंपनियों की जगह अब सिर्फ तीन निजी कंपनियों और एक सरकारी कंपनी तक सिमट कर रह गया है। 

समायोजित सकल आय (एजीआर) पर उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद बकाया सांविधिक देनदारियों के लिए भारी खर्च के प्रावधान के चलते वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कुल मिलाकर करीब 74,000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। इसमें वोडाफोन आइडिया ने पुरानी सांविधिक देनदारियों के लिए दूसरी तिमाही में ऊंचे प्रावधान के चलते 50,921 करोड़ रुपए और जबकि भारती एयरटेल ने इसी के चलते 23,045 करोड़ रुपए का नुकसान दिखाया है। सरकार ने निजी दूरसंचार कंपनियों को राहत देते हुए स्पेक्ट्रम भुगतान में दो साल की मोहलत दी है। 

हालांकि, सरकारी दूरसंचार कंपनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल के लिए यह साल अच्छा रहा। सरकार ने दोनों कंपनियों के लिए 69,000 करोड़ रुपए के पुनरुद्धार पैकेज को मंजूरी दी है। बीएसएसनएल और एमटीएनएल ने आखिरी महीनों में स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजना पेश की। कुल मिला कर करीब 92,700 कर्मचारियों ने इस योजना को चुना है। इससे इन्हें सालाना 8,800 करोड़ रुपए की बचत हो सकती है।  

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