Edited By vasudha,Updated: 27 Jan, 2020 03:56 PM
एयर इंडिया के विनिवेश को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इस बार बोलियां लगाने के नियम 2018 की तुलना में आसान बनाए हैं। अब 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले समूह भी कंपनी के लिये बोली लगा सकेंगी। वहीं किसी समूह में उसके अलग अलग भागीदारों की न्यूनतम...
बिजनेस डेस्क: एयर इंडिया के विनिवेश को अधिक आकर्षक बनाने के लिए सरकार ने इस बार बोलियां लगाने के नियम 2018 की तुलना में आसान बनाए हैं। अब 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ वाले समूह भी कंपनी के लिये बोली लगा सकेंगी। वहीं किसी समूह में उसके अलग अलग भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तय कर दी गई है।
वर्ष 2018 में जब सरकार ने एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की निविदा जारी की थी, तब किसी संभावित खरीदार की नेटवर्थ 5,000 करोड़ रुपये और बोली लगाने वाले समूह में शामिल भागीदारों की न्यूनतम हिस्सेदारी 26 प्रतिशत रखी गयी थी। सरकार ने कर्ज बोझ से दबी एअर इंडिया में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने के लिए प्राथमिक सूचना ज्ञापन (पीआईएम) सोमवार को जारी कर दिया गया। सरकार ने इच्छुक पक्षों से 17 मार्च तक आरंभिक बोलियों के रुचि पत्र मंगाए हैं।
एयर इंडिया के रणनीतिक विनिवेश के तहत एयरलाइन की सस्ती विमानन सेवा ‘एअर इंडिया एक्सप्रेस' में भी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी। पीआईएम की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कोई कंपनी अपनी ‘मातृ कंपनी की ताकत' के आधार पर भी बोली लगा सकती है। पहले इसका प्रावधान नहीं था। एयर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया के तहत कोई समूह भी बोली लगा सकता है। समूह में हर प्रतिभागी की हिस्सेदारी कम से कम 10 प्रतिशत और कुल 3500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ के 10 प्रतिशत के बराबर होना चाहिए।
समूह का नेतृत्व करने वाले सदस्य की हिस्सेदारी भी कम से कम 26 प्रतिशत होनी चाहिए। व्यक्तिगत निवेशक समूह का हिस्सा बनकर निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा यदि कोई घरेलू विमानन कंपनी बोली लगाती है तो वह बिना नेटवर्थ के 51 प्रतिशत तक हिस्सेदारी रख सकती है। जबकि सहयोगी कंपनी को 3,500 करोड़ रुपये की नेटवर्थ की योग्यता पूरी करनी होगी। इससे पहले वर्ष 2018 में सरकार ने एयर इंडिया की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री और प्रबंधकीय नियंत्रण निजी क्षेत्र को सौंपने की निविदा जारी की थी।