संकट में फंसे Yes bank को एक और झटका, हुआ अब तक का सबसे बड़ा घाटा

Edited By vasudha,Updated: 15 Mar, 2020 05:41 PM

the biggest loss to yes bank in december quarter

संकट में फंसे निजी क्षेत्र के यस बैंक का मानना है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 में भी उसकी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या कायम रहेगी। हालांकि, बैंक के नामित मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रशांत कुमार को भरोसा है कि 10,000 करोड़ रुपये के...

बिजनेस डेस्क: संकट में फंसे निजी क्षेत्र के यस बैंक का मानना है कि अगले वित्त वर्ष 2020-21 में भी उसकी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की समस्या कायम रहेगी। हालांकि, बैंक के नामित मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) प्रशांत कुमार को भरोसा है कि 10,000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश के बाद बैंक फिर से खड़ा हो सकेगा। डूबे कर्ज के दबाव की वजह से यस बैंक को चालू वित्त वर्ष की दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही में 18,654 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है। यह निजी क्षेत्र के किसी बैंक का अब तक का सबसे ऊंचा घाटा है। 

 

बैंक से पिछले छह माह के दौरान 72,000 करोड़ रुपये की निकासी हुई और यह आंकड़ा 1.37 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया। कुमार का मानना है कि 10,000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश और 1,000 से अधिक शाखाओं और मजबूत उपभोक्ता आधार के चलते यस बैंक ‘चलती हालत' में बना रहेगा। बैंक ने कुमार के आकलन का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रस्तावित पूंजी निवेश और बैंक के ग्राहकों की अच्छी संख्या और शाखाओं के नेटवर्क के जरिये बैंक का कारोबार बना रहेगा। सामान्य कामकाज में बैंक न केवल अपनी संपत्तियां वसूल सकेगा बल्कि देनदारियों का भुगतान भी कर सकेगा। कुमार को रिजर्व बैंक ने यस बैंक का प्रशासक नियुक्त किया है। वह बैंक पर लगाई गई रोक समाप्त होने के बाद बुधवार शाम से सीईओ का पद संभालेंगे।

 

निवेशकों के समक्ष प्रस्तुतीकरण में बैंक ने कहा कि उसके द्वारा कॉरपोरेट जगत को दिया गया एक-तिहाई कर्ज डूबे कर्ज की श्रेणी में आ गया है। इस वजह से कुमार की अगुवाई वाला नया प्रबंधन आगे चलकर खुदरा और छोटे कारोबारी ऋण पर ध्यान केंद्रित करेगा। बैंक ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि 8,500 करोड़ रुपये के अतिरिक्त टियर-1 बांड को पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले पूरी तरह बट्टे खाते में डाला जाएगा। रिजर्व बैंक ने कुमार को पांच मार्च को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया था। बैंक अपने लिए जरूरत की पूंजी जुटाने में विफल रहा था जिसके बाद सरकार ने उसके निदेशक मंडल को भंग कर दिया। माना जा रहा है कि यस बैंक में संकट की मुख्य वजह कथित रूप से सह संस्थापक और पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी राणा कपूर का कुप्रबंधन रहा है।


रिजर्व बैंक ने कामकाज के संचालन में खामियों के बाद कपूर का कार्यकाल घटा दिया था। कपूर के उत्तराधिकारी रवनीत गिल ने बैंक के बही खाते में दबाव वाली संपत्तियों की पहचान शुरू की। मार्च, 2019 को समाप्त तिमाही में बैंक को पहली बार तिमाही घाटा हुआ। निवेशक प्रस्तुतीकरण में बैंक ने कहा है कि दिसंबर, तिमाही तक उसकी दबाव वाली संपत्तियां 24,587 करोड़ रुपये हो गई हैं। वर्ष 2021-22 के वित्त वर्ष में ही इसमें चीजें दुरुस्त हो सकेंगी। बैंक ने निवेशकों से कहा कि 2020-21 में उसका डूबा कर्ज संपत्तियों का पांच प्रतिशत रहेगा। दिसंबर, 2019 को समाप्त तिमाही में बैंक की संपत्तियां 22 प्रतिशत घटकर 2.90 करोड़ रुपये रह गईं। 

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