सिगरेट पर भारी-भरकम टैक्स से तबाह होती देश की अर्थव्यवस्था, छिन सकती है लाखों नौकरियां

Edited By vasudha,Updated: 18 Mar, 2020 12:46 PM

the country economy is devastated by the huge tax on cigarettes

हाल ही में सरकार ने नैशनल कैलेमिटी कंटिंजैंट ड्यूटी (एन.सी.सी.डी.) के रूप में सिगरेट पर लेवीस टैक्स बढ़ाने की घोषणा की है। पहले से ही देश में अवैध तरीके से तस्करी होकर आ रही सिगरेट से घरेलू तंबाकू उद्योग पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं...

बिजनेस डेस्क: हाल ही में सरकार ने नैशनल कैलेमिटी कंटिंजैंट ड्यूटी (एन.सी.सी.डी.) के रूप में सिगरेट पर लेवीस टैक्स बढ़ाने की घोषणा की है। पहले से ही देश में अवैध तरीके से तस्करी होकर आ रही सिगरेट से घरेलू तंबाकू उद्योग पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। सरकार के इस फैसले से तंबाकू उद्योग से जुड़े लाखों लोगों के रोजगार पर असर पडऩा लाजिमी है।  इस उद्योग के साथ लाखों किसानों का भविष्य जुड़ा होने के बावजूद तस्करी और जालसाजी के कारण नौकरियों का खोना नीति निर्माताओं के राडार पर नहीं है।

 

फिक्की कास्केड (अर्थव्यवस्था को नष्ट करने वाली तस्करी और जालसाजी गतिविधियों के खिलाफ समिति) की रिपोर्ट के मुताबिक नकली सामानों की बिक्री के कारण वर्ष 2017-18 में 16.36 लाख नौकरियां छिन गईं। अकेले कपड़ा, मशीन और इलैक्ट्रॉनिक जैसे 5 प्रमुख सैक्टरों में ही 5 लाख से ज्यादा नौकरियां कम हो गई हैं। फिक्की कास्केड ने यह भी दावा किया है अगर सरकार नकली सामान की बिक्री पर रोक लगा दे तो कम से कम 5 लाख नौकरियों के अवसर तुरंत पैदा हो सकते हैं। तस्करी और नकली सामानों की खरीद देश की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंचाती है। सिगरेट पर किसी भी प्रकार के टैक्स में बढ़ौतरी का असर घरेलू उद्योग पर पड़ता है। देश में 260 लाख भारतीय किसान और मजदूर पहले ही भारी टैक्सों तले दबे हुए हैं। 

 

तस्करी का पैसा आतंक फैलाने में
तस्करी की घटनाओं का आतंकी संगठनों और आपराधिक नैटवर्क से करीबी संबंध है और यह भारत तथा यहां के उद्योग के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। फिक्की की एक अन्य हालिया रिपोर्ट ‘अवैध कारोबार-आतंकवाद और संगठित अपराध का वित्तपोषक’ के मुताबिक, 2016 में भारत आतंकी गतिविधियों से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में तीसरे स्थान पर था, जबकि ईराक और अफगानिस्तान क्रमश: पहले और दूसरे स्थान पर रहे। अपराध नियंत्रण एवं आपराधिक न्याय पर संयुक्त राष्ट्र के आयोग के अनुसार वैश्विक स्तर पर आतंकवाद जैसी आपराधिक गतिविधियों के लिए आय का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है। आतंकी संगठन नकली सामान बना रहे हैं और अपनी आपराधिक गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए एक से दूसरे देश में उनकी तस्करी कर रहे हैं। 
 

देश में बिकने वाली हर 5वीं सिगरेट तस्करी की
तस्करी होकर आने वाली सिगरेट के डिब्बों में से किसी पर भी पिक्टोरियल वाॄनग नहीं है और न ही एम.आर.पी. होती है, जबकि देश में नियम है कि सिगरेट के डिब्बों पर चित्र से चेतावनी देनी होती है। तंबाकू से कैंसर हो सकता है। किसी की नजर से चेतावनी छूट न जाए इसलिए सिगरेट पैक के 85 फीसदी हिस्से पर ये चित्र होना चाहिए तो फिर ये सिगरेट कहां से आ गई?  दरअसल ये सिगरेट तस्करी के जरिए आई है। आप देश के किसी भी कोने में जाइए, पान की दुकानों पर बिना चेतावनी वाली सिगरेट मिल जाएगी। यहां तक कि जो स्वास्थ्य मंत्रालय तंबाकू के खिलाफ जंग लडऩे का दम भरता है उसकी नाक तले सुलगती तस्करी की सिगरेट का धुआं बेफिक्री से उठता है। तस्करी की सिगरेट के बारे में दरअसल सरकार को सब कुछ मालूम है लेकिन इस पर रोक की मैराथन तैयारियां हैं कि खत्म ही नहीं होती। देश में बिक रही हर 5वीं सिगरेट तस्करी की है और ये लगातार बढ़ रही है। इसकी गवाही सरकारी आंकड़े देते हैं। 2013-14 में करीब 21 करोड़ की तस्करी वाली सिगरेट जब्त की गई, जबकि 2016 में ऐसी 162 करोड़ की सिगरेट जब्त की गई। यानी 650 फीसदी का इजाफा।

 

किसको कितना घाटा
टोबैको इंस्टीच्यूट ऑफ इंडिया के डायरैक्टर सैय्यद महमूद अहमद का कहना है कि इन सिगरेट से किसानों को 1500 करोड़ का नुक्सान और सरकार को 9,139 करोड़ का टैक्स का घाटा हुआ है, वहीं इंडस्ट्री को 13000 करोड़ रुपए नुक्सान पहुंच रहा है। स्वास्थ्य का नुक्सान है, क्वालिटी का भरोसा नहीं, सिगरेट तस्करी में लगा ये पैसा टैररिस्ट ऑर्गेनाइजेशन को भी जाता है। वहीं यूरो मॉनीटर के मुताबिक भारत सिगरेट तस्करी का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। बिना किसी निगरानी और टैक्स के बेची जा रही इस सिगरेट से सेहत को ज्यादा खतरा तो है ही लेकिन सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का भी नुक्सान हो रहा है।

 

तस्करी की घटनाओं में 136 प्रतिशत बढ़ौतरी 
फिक्की कास्केड के मुताबिक 2014-15 के मुकाबले 2016-17 में इनकी तस्करी की घटनाओं में 136 फीसदी की बढ़ौतरी हुई है। 
3,108 तस्करी की घटनाएं हुईं सिगरेट और तंबाकू उत्पादों की 2016-17 में
9,139 करोड़ रुपए का अनुमानित घाटा तंबाकू उत्पादों के अवैध कारोबार से।

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