वित्त सचिव ने दिए संकेत, लॉकडाउन की वजह से झटका खाई अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Nov, 2020 11:22 AM

the economy is back on track due to the lockdown

कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से झटका खाई अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है। वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने इस संबंध में संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के कर संग्रह में तेजी आई है। साथ ही कोरोना के मद्देनजर सरकार द्वारा दिए गए...

बिजनेस डेस्कः कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से झटका खाई अर्थव्यवस्था फिर से पटरी पर लौटने लगी है। वित्त सचिव अजय भूषण पांडेय ने इस संबंध में संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के कर संग्रह में तेजी आई है। साथ ही कोरोना के मद्देनजर सरकार द्वारा दिए गए प्रोत्साहनों की वजह से आर्थिक संकेतकों में भी सुधार जारी है। 

पांडेय ने कहा कि वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी ई-वे बिल को निकालने की संख्या कोविड से पहले के स्तर पर आ गई है। ऑनलाइन भुगतान तेजी से बढ़े हैं। वस्तुओं की खपत या सेवा दिए जाने पर लिए जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में लगातार दूसरे महीने तेजी आई है।

वित्त सचिव अजय भूषण ने कहा कि कर संग्रह के रुझानों से पता चलता है कि इसमें पिछले कुछ महीनों की तुलना में तेजी आई है। जीएसटी संग्रह सितंबर के महीने में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले चार प्रतिशत अधिक रहा। वित्त सचिव ने बताया कि अक्तूबर में पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी तेजी देखने को मिली है और टैक्स संग्रह भी 1.05 लाख रुपए ज्यादा रहा है। इसी तरह 50 हजार से ज्यादा मूल्य की वस्तुओं के परिवहन के लिए ई-वे बिल निकलाने की संख्या भी अक्तूबर में 21 फीसदी बढ़ी। 

अजय भूषण पांडेय के पास राजस्व सचिव का भी प्रभार हैं। उन्होंने बताया कि ये आंकड़े संकेत देते हैं कि अर्थव्यवस्था न केवल सुधार के रास्ते पर है बल्कि वृद्धि के पथ पर तेजी से लौट रही है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्तूबर के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत घटकर 4.95 लाख करोड़ रुपए रहा। अजय भूषण पांडेय के पास राजस्व सचिव का भी प्रभार हैं। उन्होंने बताया कि ये आंकड़े संकेत देते हैं कि अर्थव्यवस्था न केवल सुधार के रास्ते पर है बल्कि वृद्धि के पथ पर तेजी से लौट रही है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्तूबर के दौरान सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 22 प्रतिशत घटकर 4.95 लाख करोड़ रुपए रहा।

इस दौरान कॉरपोरेट कर संग्रह 26 प्रतिशत घटकर 2.65 लाख करोड़ रुपए रहा, जबकि व्यक्तिगत आयकर संग्रह 16 प्रतिशत घटकर 2.34 लाख करोड़ रुपए रह गया। पांडेय ने कहा कि पिछले सात महीनों में कुल दो लाख करोड़ रुपए का रिफंड जारी किया गया, जबकि उस समय कर संग्रह कम था।

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