Edited By Isha,Updated: 20 Jan, 2019 10:00 AM
चुनावी साल में देश का अंतरिम बजट पेश होने में अब कुछ दिन ही बचे हैं। उत्तराखंड में सबसे पहले डिजीटल बजट पेश किया गया था। अगर इस वर्ष भारत सरकार डिजीटल बजट पेश करती है तो यह निश्चित रूप से बड़ी उपलब्धि होगी और देश को पूर्ण रूप से डिजीटल बनाने में
बिजनेस डेस्क: चुनावी साल में देश का अंतरिम बजट पेश होने में अब कुछ दिन ही बचे हैं। उत्तराखंड में सबसे पहले डिजीटल बजट पेश किया गया था। अगर इस वर्ष भारत सरकार डिजीटल बजट पेश करती है तो यह निश्चित रूप से बड़ी उपलब्धि होगी और देश को पूर्ण रूप से डिजीटल बनाने में एक बड़ा कदम होगा।
1 फरवरी को पेश होने वाला यह बजट वित्त मंत्री अरुण जेतली का लगातार छठा बजट और एन.डी.ए. सरकार का आखिरी बजट होगा। इस बजट में देश के अलग-अलग सैक्टर को राहत मिलने की उम्मीद है। चुनावों के पहले आने वाले इस अंतरिम बजट में किसानों, मिडल क्लास और एक्साइज ड्यूटी पर कई प्रावधान आ सकते हैं लेकिन डिजीटल इंडिया के सपने को साकार करना इस बजट की सबसे बड़ी चुनौती होगी। सरकार लंबे समय से देश को पूरी तरह डिजीटल बनाने का सपना देखती आई है। उम्मीद है कि अंतरिम बजट में सरकार इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण निर्णय सुना सकती है।
सरकार कर रही विचार
डिजीटल इंडिया का सपना साकार करने की दिशा में भारत सरकार डिजीटल बजट पेश करने के बारे में विचार कर रही है। इसका मुख्य कारण सुरक्षा है लेकिन अगर डिजीटल बजट साइबर हैकिंग का शिकार हो गया तो भारतीय अर्थव्यवस्था बर्बादी की कगार पर भी पहुंचाई जा सकती है। यही कारण है कि बजट को सफेद कागज पर काली स्याही से छापा जाता है ताकि सब स्पष्ट दिखाई दे।
देश को डिजीटल बनाने में बड़ा कदम
अगर इस वर्ष भारत सरकार डिजीटल बजट पेश करती है तो यह निश्चित रूप से बड़ी उपलब्धि होगी और देश को पूर्ण रूप से डिजीटल बनाने में एक बड़ा कदम होगा। उत्तराखंड के बाद साल 2018 में असम ने भी ई-बजट पेश किया था। डिजीटल इंडिया भारत सरकार की एक पहल है जिसके तहत सरकारी विभागों को देश की जनता से जोडऩा है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बिना कागज के इस्तेमाल के सरकारी सेवाएं इलैक्ट्रॉनिक रूप से जनता तक पहुंच सकें। इस योजना का एक उद्देश्य ग्रामीण इलाकों को हाई स्पीड इंटरनैट के माध्यम से जोडऩा भी है।