Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Aug, 2018 11:56 AM
ऋणग्रस्त 70 बड़ी कंपनियों का भविष्य अधर में है। इनमें बैंकों का 3.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज फंसा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उनके लिए समाधान योजना हेतु 27 अगस्त की समयसीमा तय की है जो करीब आ रही है।
मुंबईः ऋणग्रस्त 70 बड़ी कंपनियों का भविष्य अधर में है। इनमें बैंकों का 3.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज फंसा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने उनके लिए समाधान योजना हेतु 27 अगस्त की समयसीमा तय की है जो करीब आ रही है। अगर तब तक बैंक इन परिसंपत्तियों के बारे में कोई समाधान योजना पेश नहीं करते हैं तो फिर उन पर राष्ट्रीय कंपनी कानून पंचाट (एनसीएलटी) में दिवालिया कार्यवाही शुरू करने के अलावा कोई चारा नहीं रह जाएगा।
आरबीआई ने संकटग्रस्त परिसंपत्तियों के कर्ज के समाधान के लिए 12 फरवरी को नए दिशानिर्देश जारी किए थे जिनके तहत बैंकों को 180 दिन के भीतर अपनी योजना को अंतिम देना है। 2,000 करोड़ रुपए या या उससे अधिक राशि के बड़े चूककर्ता खातों के लिए यह नियम एक मार्च 2018 से लागू हुआ। अगर बैंक 180 दिन के भीतर समाधान योजना पेश करने में नाकाम रहते हैं तो उन्हें चूककर्ता खातों के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही शुरू करनी होगी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा के आकलन के मुताबिक 70 बड़े खातों के लिए आरबीआई की समयसीमा तक समाधान योजना पेश किए जाने की जरूरत है जिन पर बैंकों का कुल 3.8 लाख करोड़ रुपए का कर्ज है। इनमेें 34 खाते केवल बिजली क्षेत्र के हैं जिनमें बैंकों के दो लाख करोड़ रुपए फंसे हैं। सार्वजनिक बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि खातों की पहचान कर ली गई है। इनमें से अधिकांश खाते गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (एनपीए) बन चुके हैं और बैंक को उनके लिए प्रावधान करना पड़ रहा है। जो मामले एनसीएलटी में हैं उनके लिए बैंकों को आगे चलकर ज्यादा प्रावधान करना पड़ सकता है। कुछ खातों के लिए बैंक आरबीआई की समयसीमा समाप्त होने से पहले समाधान योजना तैयार करने के लिए दिनरात जुटे हैं ताकि उन्हें एनसीएलटी में जाने से बचाया जा सके।