Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Mar, 2019 11:51 AM
बाजार की बदलती परिस्थितियों और बंपर उपज से पिछले साल के मुकाबले इस साल प्याज की खेती करने वाले किसानों की आमदनी 42 अरब रुपए घट गई है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।
मुंबईः बाजार की बदलती परिस्थितियों और बंपर उपज से पिछले साल के मुकाबले इस साल प्याज की खेती करने वाले किसानों की आमदनी 42 अरब रुपए घट गई है। केंद्र सरकार के कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। इस वर्ष जनवरी महीने में कृषि बाजार उत्पाद समिति (एएमपीसी) के जरिए करीब 13.22 लाख टन प्याज 13,760 रुपए प्रति टन की दर से बिका था। इसी प्रकार, दिसंबर महीने में 13,310 रुपए प्रति टन के हिसाब से कुल 11.10 लाख टन प्याज की बिक्री हुई थी। रिपोर्ट कहती है कि यह 2017 में किसानों को मिली प्याज की कीमत के मुकाबले 61 प्रतिशत कम है।
उपज ज्यादा, दाम कम
देश के करीब एक-तिहाई प्याज का उत्पादन करने वाले राज्य महाराष्ट्र ने कीमतों में और बड़ी गिरावट देखी। यहां 5,180 रुपए प्रति टन की दर से प्याज बिके जो पिछले वर्ष की दर से 80 प्रतिशत कम है। कीमतों में इतनी बड़ी गिरावट का एक कारण यह हो सकता है कि पिछले पांच वर्ष के औसत उत्पादन के मुकाबले इस वर्ष प्याज की अनुमानित उपज 12.48 प्रतिशत ज्यादा रहना है। 210 लाख टन प्याज के उत्पादन का अनुमान था लेकिन इस वर्ष आंकड़ा 236 लाख टन पर पहुंचने की उम्मीद है।
सरकारी विफलता
नाशिक, महाराष्ट्र का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक क्षेत्र है। यहां से शेतकरी संगठन के नेता गिरिधर पाटील ने कहा, 'हालांकि, किसानों को बिचौलियों को किनारे लगाकर एपीएमसी के बाहर भी प्याज बेचने की अनुमति है लेकिन यह कागजों तक ही समीति होकर रह गई है क्योंकि सरकार किसानों को सुपरमार्केट्स, होटल्स, कैटरर्स और दूसरे बड़े खरीदारों से जोड़ने का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में विफल रही है।'