देश में बढ़ रही कृषि भंडारण की किल्लत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jul, 2018 01:57 PM

the lack of agricultural storage in the country

भारत में कृषि उपज के लिए भंडारण क्षमता की कमी है। अनुमान है कि देश में कृषिगत उपज से संबंधित 3.5 करोड़ टन भंडारण क्षमता का अभाव है।

मुंबईः भारत में कृषि उपज के लिए भंडारण क्षमता की कमी है। अनुमान है कि देश में कृषिगत उपज से संबंधित 3.5 करोड़ टन भंडारण क्षमता का अभाव है। यह कहना है राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के चेयरमैन डॉ. हर्ष कुमार भानवाला का। कृषिगत खरीद की सर्वाधिक मांग का समय मई-जून होता है। कृषि वित्त और भंडारण उद्योग के सूत्रों को लगता है कि खरीफ की कटाई के बाद भंडारण की बड़ी जरूरत होगी। अनाज और तिलहन की 10 से अधिक फसलों के दाम भी सरकार के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे चल रहे हैं।

भानवाला ने कहा कि नाबार्ड वैज्ञानिक रूप से निर्मित कुल 92.9 लाख टन अनाज भंडारण क्षमता को मंजूरी दे चुका है। इसमें से 38.5 लाख टन क्षमता परिचालन में है। नाबार्ड इस क्षेत्र में सबसे बड़ा ऋण प्रदाता है। सरकारी गोदामों में पर्याप्त जगह नहीं होने की वजह से सरकारी खरीद एजेंसियां सामान्य तौर पर भंडारण सुविधाएं किराये पर लेती हैं। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास भी एक ऐसी योजना है जिसमें निगम निजी कंपनियों द्वारा विकसित की गई भंडारण क्षमता के वास्ते निर्धारित वर्षों के लिए किराया सुनिश्चित करता है। इन सबके बावजूद भंडारण की किल्लत बनी हुई है। जहां पहले अनाज को खुले साइलो में रखा जाता था, वहीं अब इनका स्थान धीरे-धीरे वैज्ञानिक रूप से तैयार किए जाने वाले गोदाम लेते जा रहे हैं।

क्रिसिल रिसर्च के निदेशक हेतल गांधी कहते हैं कि इस्तेमाल के ऊंचे औसत को देखते हुए मौजूदा क्षमता में सिर्फ सामान्य वृद्घि ही की जा सकती है। अक्सर मई-जुलाई की अवधि भंडारण मांग के लिए सबसे ज्यादा मांग वाला समय होता है, क्योंकि इस दौरान रबी सीजन के उत्पादन का भंडारण किए जाने की जरूरत होती है। तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के लिए अतिरिक्त खरीद करना कठिन हो सकता है, क्योंकि वहां वित्त वर्ष 2017 में भंडारण उपयोग स्तर 80 प्रतिशत को पार कर गया था।

राज्य भंडारण निगमों (एसडब्ल्यूसी) के अलावा जनवरी 2018 से सरकारी एजेंसियों - भरतीय खाद्य निगम (एफसीआई) और केंद्रीय भंडारण निगम (सीडब्ल्यूसी) की कुल भंडार क्षमता (किराए पर ली गई और स्वयं की क्षमता) 7.36 करोड़ टन थी। गांधी का कहना है कि 2016-17 में इन गोदामों का औसत उपयोग 70-75 प्रतिशत था। मौजूदा क्षमता 1.6-1.9 करोड़ टन की अतिरिक्त अनाज भंडारण की ही अनुमति देती है। गेहूं और चावल मुख्य तौर पर खरीदी जाने वाली फसल होती है। फसल वर्ष 2017-18 में इन फसलों के एक-तिहाई उत्पादन की खरीद  सरकार द्वारा की गई थी।

जून 2018 में केंद्रीय गोदामों में रखा अनाज 6.8 करोड़ टन (90 प्रतिशत से ज्यादा इस्तेमाल) था, जो पिछले वर्ष (जून 2017) की समान अवधि के लगभग 5.55 करोड़ टन के स्टॉक की तुलना में काफी अधिक है। एमएसपी में वृद्घि की वजह से यदि दालों और तिलहनों के साथ साथ मोटे अनाज की अधिक खरीद होती है तो भंडारण की समस्या गहरा सकती है।

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