वर्ष 2019 में घटेगा बैंकों का प्रावधान दबाव

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Aug, 2018 11:43 AM

the pressure of provision of banks will decrease in 2019

रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार बैंकिंग उद्योग वित्त वर्ष 2019 में पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में फंसे कर्ज के लिए प्रावधान के दबाव में कमी दर्ज कर सकता है।

मुंबईः रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार बैंकिंग उद्योग वित्त वर्ष 2019 में पूर्ववर्ती वर्ष की तुलना में फंसे कर्ज के लिए प्रावधान के दबाव में कमी दर्ज कर सकता है। खातों पर 60-65 फीसदी प्रावधान जरुरत के समाधान को ध्यान में रखते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पी.एस.बी.) के लिए ऋण प्रावधान वित्त वर्ष 2019 के लिए 1.4-2 लाख करोड़ रुपए पर रहने का अनुमान है। यह अनुमान वित्त वर्ष 2018 में पी.एस.बी. दर्ज किए गए 2.71 लाख करोड़ रुपए के वास्तविक प्रावधान स्तर का लगभग आधा है।

इक्रा का मानना है कि पी.एस.बी. के लिए ऋण प्रावधान में कमी के अनुरुप निजी बैंकों के लिए ऋण प्रावधान वित्त वर्ष 2019 के दौरान घटकर 225-333 अरब रुपए रह सकता है जो वित्त वर्ष 2018 के 503 अरब रुपए की तुलना में आधे से भी कम है।

इक्रा के प्रमुख (फाइनैंशियल सेक्टर रेटिंग्स) अनिल गुप्ता ने कहा, 'सभी 40 बड़े लेनदारों के लिए 4 लाख करोड़ रुपए के ऋणों को आईबीसी (ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता) के तहत लाया जा चुका है और कई अन्य बड़े लेनदारों को भी आईबीसी के तहत समाधान प्रक्रिया में शामिल किए जाने की संभावना है। भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के 60 फीसदी फंसे कर्ज (वे ऋण भी शामिल हैं जिन्हें पहले बट्टे खाते में डाल दिया गया) अब समाधान प्रक्रिया के अधीन हैं। 

बैंकिंग क्षेत्र के लिए सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (जीएनपीए) पिछली 18 तिमाहियों के दौरान लगातार बढ़ने के बाद पहली बार घटी है। 30 जून 2018 तक जीएनपीए घटकर 10 लाख करोड़ रुपए या 31 मार्च 2018 के 11.68 फीसदी की तुलना में घटकर 11.52 फीसदी रह गई। 

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