286 साल पुरानी है बजट के ‘लाल बैग’ की परम्परा, जानिए कैसे शुरू हुआ ये रिवाज

Edited By Isha,Updated: 19 Jan, 2019 12:28 PM

the tradition of red bag of the budget is 286 years old

1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। ये वित्त मंत्री अरुण जेतली का छठा बजट होगा। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि वित्त मंत्री के पिटारे से क्या कुछ निकलेगा। आप हर साल देखते होंगे कि जिस दिन बजट

नई दिल्ली : 1 फरवरी को पेश होने वाले अंतरिम बजट पर पूरे देश की नजरें टिकी हैं। ये वित्त मंत्री अरुण जेतली का छठा बजट होगा। ऐसे में हर कोई जानना चाहता है कि वित्त मंत्री के पिटारे से क्या कुछ निकलेगा। आप हर साल देखते होंगे कि जिस दिन बजट पेश किया जाता है उस दिन वित्त मंत्री संसद में ‘लाल बैग’ लेकर आते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वित्त मंत्री हमेशा लाल रंग का बैग ही क्यों लेकर आते हैं और इसकी परम्परा कितनी पुरानी है।
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कैसे शुरू हुई ये रिवाज
बजट पेश करते समय वित्त मंत्री के संसद में लाल बैग के साथ आने की परम्परा 286 साल पुरानी है। साल 1733 में पहली बार ब्रिटिश वित्तमंत्री रॉबर्ट वॉलपोल ने बजट पेश करने के दौरान देश के आर्थिक लेखे-जोखे से जुड़े तमाम कागजात एक चमड़े के थैले में लेकर आए थे जिसे फ्रैंच भाषा में बोजेट या बुगेट का नाम दिया गया था। इसके बाद 1860 में चांसलर ग्लैडस्टोन ने लकड़ी का बॉक्स बनवाकर उस पर लाल चमड़ा लगवाया और महारानी विक्टोरिया का मोनोग्राम भी छपवाया। तब से सभी वित्त मंत्रियों ने बजट दस्तावेज सदन में लाने के लिए उसी बॉक्स का इस्तेमाल किया। भारत में 18 फरवरी 1860 को वायसराय की परिषद में जेम्स विल्सन ने भारत का पहला बजट पेश किया था।
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मोदी सरकार तोड़ने जा रही है ये रिवाज
वित्त मंत्री अरुण जेतली ने कहा है कि मोदी सरकार अंतरिम बजट पेश किए जाने की परंपरा को तोड़ते हुए 1 फरवरी को सिर्फ लेखा अनुदान पेश नहीं करेगी। कुछ चुनौतियों के समाधान सहित अर्थव्यवस्था के हित को भी अंतरिम बजट में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि आम चुनाव के मद्देनजर आम तौर अंतरिम बजट पेश करने की परंपरा रही है और इस परंपरा से अलग हटने का कोई कारण भी नहीं है, लेकिन अर्थव्यवस्था के हित को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष अंतरिम बजट कुछ हटकर होगा।
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देश के अन्नदाता को लुभाने का प्रयास
मीडिया रिपोर्टस की मानें तो सरकार इस बजट के जरिए सबसे पहले जिसे लुभाने वाली है, वह है देश का अन्नदाता यानी कि किसान। इस बजट में सरकार किसानों को खेती के लिए हर सीजन में 4000 रुपए प्रति एकड़ की दर से आॢथक मदद कर सकती है। सरकार ये रकम सीधा किसानों के बैंक अकाऊंट में भेजने पर विचार कर रही है। इसी के साथ सरकार इस बजट में किसानों को एक लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त लोन देने पर भी विचार कर रही है।
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बुजुर्गों को ऐसे खुश करेगी मोदी सरकार
मोदी सरकार अपने इस बजट के जरिए बुजुर्गों को भी खुश करने वाली है। दरअसल जब से केन्द्र में मोदी सरकार आई है तब से लगातार बुजुर्ग पैंशन में बढ़ौतरी की मांग कर रहे हैं। ऐसे में सरकार इस बजट में बुजुर्गों की पैंशन में बढ़ौतरी कर सकती है। इस पर सरकार के अंदर तमाम मंत्रालयों में मंथन जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सरकार पैंशन की रकम को बढ़ाकर दोगुनी कर सकती है। हालांकि ये रकम बढ़ाकर कितनी की जाएगी, यह ऐलान के दिन ही साफ हो पाएगा।

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