सरकार की गलत पालिसी से टैक्सटाइल्स उद्योग आर्थिक संकट में घिरा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 Jul, 2020 12:37 PM

the wrong policy of the government has caused the textile industry

भारत के विभिन्न कपास उत्पादन राज्यों में अब तक लगभग 3.68 करोड़ गांठों की आमद मंडियों में आने की सूचना है। देश में आजकल रोजाना कपास आमद कम होकर 20000-22000 गांठों की रह गई है। किसानों के पास लाखों गांठों की कपास अभी तक बेचने वाली बाकी है।

जैतोः भारत के विभिन्न कपास उत्पादन राज्यों में अब तक लगभग 3.68 करोड़ गांठों की आमद मंडियों में आने की सूचना है। देश में आजकल रोजाना कपास आमद कम होकर 20000-22000 गांठों की रह गई है। किसानों के पास लाखों गांठों की कपास अभी तक बेचने वाली बाकी है। माना जाता है कि किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास बेचने को लेकर निजी व्यापारियों को कपास नहीं बेची।

कपड़ा मंत्रालय के उपक्रम भारतीय कपास निगम लिमिटेड ने घोषणा की थी कि निगम पुरा सीजन सितम्बर तक किसानों की कपास खरीदेगा लेकिन अब निगम की खरीद बेतहाशा कमजोर है। चीन विश्व का सबसे बड़ा कपास उत्पादन देश होने के साथ सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भी है। दूसरा स्थान कपास उत्पादन में भारत का आता है। इससे पहले उत्पादन में दूसरा स्थान अमरीका का था। भारतीय किसानों ने आगामी नए कपास सीजन साल 2020-21 के लिए अभी तक देश में कपास की बुआई 118.05 लाख हैक्टेयर भूमि में कर ली है और कुछ राज्यों में बुआई तेजी से चल रही है। पिछले साल देश में कपास की कुल बुआई 126.99 लाख हैक्टेयर में हुई थी। 

विश्व भर में कपास उत्पादन 10-11 करोड़ गांठों से अधिक होता है। भारत में इस बार कपास की बुआई के दौरान बारिश काफी अच्छी रही है। यदि मौसम आगे भी अनुकूल रहा तो इस साल भी भारत में कपास उत्पादन विश्व स्तरीय रिकॉर्ड रहेगा। देश में आगामी नए कपास सीजन के दौरान 4 से 4.25 करोड़ गांठों के उत्पादन होने के कयास लगाए जा रहे हैं जबकि चीन में यह उत्पादन  5 करोड़ गांठों से अधिक रहने की संभावना जताई जा रही है।

सूत्रों के अनुसार भारत में सरकार की गलत पालिसी के कारण भारतीय टैक्सटाइल्स उद्योग डूबों कर रख दिया है। आज यह उद्योग भारी आर्थिक नीतियों से झूझ रहा है। हैरत की बात है कि पी.एम.ओ., कपड़ा मंत्री व कपड़ा मंत्रालय भारतीय टैक्सटाइल्स उद्योग की वर्तमान आर्थिक स्थिति और उसके कारोबार के बारे में सब कुछ जानकार होते हुए भी अनजान बने हुए हैं जबकि देश में सबसे अधिक रोजगार टैक्सटाइल्स उद्योग देता है। लाखों लोगों को रोजगार देने वाला यह उद्योग आज अपने रोजगार को बचाने में चिंता में डूबा हुआ है।

टैक्सटाइल्स उद्योग को लेबर की बड़ी तंगी:उत्तरी क्षेत्रीय राज्यों जिनमें पंजाब, हरियाणा व राजस्थान शामिल हैं, के टैक्सटाइल्स उद्योग व कताई मिलों को आजकल लेबर की भारी तंगी सता रही है जिससे उन्हें भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है। उद्योग मालिकों का कहना है कि देश में कोरोना महामारी को लेकर लाखों मजदूर अपने राज्यों को पलायन कर गए जिससे उद्योगों को लेबर के बिना चलाना बहुत कठिन हो गया है। सूत्रों के अनुसार टैक्सटाइल्स उद्योग को चाहे आर्थिक मार झेलनी पड़ रही है। दूसरी तरफ  यदि लेबर की कमी को लेकर यूनिट बंद करते हैं तो उनका नुक्सान डबल होता है। उद्योग मालिकों का कहना है कि केन्द्र सरकार तुरंत ट्रेनों को चलाने का प्रबंध करें ताकि लेबर वापस आ सके और मिलें सुचारू रूप से चल सके।

सी.सी.आई. ने रूई सेल करने का 5 साल का रिकॉर्ड बनाया
कपड़ा मंत्रालय के उपक्रम भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सी.सी.आई.) ने चालू कपास  सीजन साल 2019-20 के दौरान 1 करोड़ गांठों का नरमा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर रिकॉर्ड बनाया है। निगम के पास पिछले साल की भी लाखों गांठ अनसोल्ड स्टाक में पड़ी है। निगम की पुरी कोशिश है कि वह नए कपास सीजन जो 1 अक्तूबर से शुरू होने जा रहा है, से पहले सारी रूई गांठों को बाजार में सेल कर दें। सूत्रों की मानें तो यह बात फिलहाल असंभव लगती है। निगम सूत्रों के अनुसार निगम ने कुछ दिन में ही लगभग 7 लाख गांठ सेल की है। 

निगम ने पिछले 5 साल में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में रूई गांठों की सेल की है जो एक रिकॉर्ड है। रूई बाजार जानकारों का कहना है कि सैंट गिरने से रूई की डिमांड ढीली पड़ गई है। एक रूई खरीदार मंदडि़ए के अनुसार रूई 32000 रुपए कैंडी रह सकती है क्योंकि भारत सहित दुनिया में रूई गांठों का अनसोल्ड बंपर स्टाक है। भारत में अक्तूबर के शुरूआत में नया कपास घरेलू मंडियों में आने लगता है। हरियाणा व राजस्थान के कुछ हिस्सों में नया कपास सितम्बर माह में आना शुरू हो जाता है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!