Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Jul, 2021 10:44 AM
महिलाओं के लिए बेरोजगार की दर 2019-20 में घटकर 4.2 प्रतिशत रह गई, जो 2018-19 में 5.1 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आवधिक श्रमबल सर्वे (पीएलएफएस) से यह जानकारी मिली है। एनएसओ सांख्यिकी और कार्यक्रम
बिजनेस डेस्कः महिलाओं के लिए बेरोजगार की दर 2019-20 में घटकर 4.2 प्रतिशत रह गई, जो 2018-19 में 5.1 प्रतिशत थी। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आवधिक श्रमबल सर्वे (पीएलएफएस) से यह जानकारी मिली है। एनएसओ सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत आता है। इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों की जानकारी श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘महिलाओं के लिए बेरोजगारी दर वर्ष 2018-19 में 5.1 प्रतिशत के मुकाबले घटकर 2019-21 में 4.2 पर आ गई है।'' वही 2019-20 के लिए पीएलएफएस के आंकड़ों के अनुसार मनरेगा के तहत 2020-21 में सृजित कुल रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 207 करोड़ कार्यदिवस हो गई है। महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) 2018-19 के 24.5 प्रतिशत की तुलना में बढ़कर 2019-20 में 30 प्रतिशत हो गई है।
बयान में कहा गया कि श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी में सुधार के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। महिलाओं के रोजगार को प्रोत्साहित करने के लिए महिला श्रमिकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण बनाने को श्रम कानूनों में कई सुरक्षात्मक प्रावधान शामिल किए गए हैं। इसके अलावा इनमें मातृत्व अवकाश को 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह करना, 50 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में अनिवार्य क्रेश या पालना घर सुविधा का प्रावधान करना समेत सुरक्षा उपायों के साथ रात की पाली में महिला कर्मचारियों को अनुमति देना शामिल हैं।