रुपए में मजबूती से इन स्टॉक्स में आएगी तेजी, इन कंपनियों को होगा फायदा

Edited By ,Updated: 18 Mar, 2017 03:45 PM

these stocks will be steadily rising in rupee

भारतीय रुपए में इस साल 3.8 फीसदी की तेजूी देखने को मिली है। रुपया 66 का अहम लेवल पार कर 65.45 पर आ गया है, जो 17 महीनों का टॉप है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रुपए में मजबूती का ट्रेंड 1.5 से 2 महीने बना रह सकता है।

नई दिल्लीः भारतीय रुपए में इस साल 3.8 फीसदी की तेजी देखने को मिली है। रुपया 66 का अहम लेवल पार कर 65.45 पर आ गया है, जो 17 महीनों का टॉप है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि रुपए में मजबूती का ट्रैंड 1.5 से 2 महीने बना रह सकता है। इससे शॉर्ट टर्म में पैट्रोलियम, फर्टिलाइजर, मेटल, माइनिंग और कंजम्पशन बेस्ड सेक्टर्स के शेयरों में उछाल आएगा। वहीं ऑटोमोबाइल, आईटी सॉफ्टवेयर, फार्मा सेक्टर के चौथे क्वार्टर के मार्जिन पर नाकारात्मक असर हो सकता है।

रुपए में रहेगी तेजी 
क्रेडाई कमोडिटी के अजय केडिया का कहना है कि 17 नवंबर 2015 के बाद से 14 मार्च 2017 तक रुपया कभी भी 66 का लेवल नहीं क्रॉस किया। मगर 14 मार्च को यह लेवल टूट गया और 66 के ऊपर बना रहा। आगे 2 महीनों तक यह 64.80 का लेवल छू सकता है, हालांकि उसके बाद अमरीका में पॉलिसी पर काम बढ़ने और यूरोप सहित कुछ अन्य देशों में अनसर्टेनिटी की वजह से डॉलर मजबूत होने लगेगा। 

रुपए में क्यों आई मजबूती 
- अजय केडिया का कहना है कि भारत में अर्थव्यवस्था को लेकर सुधार किए गए और  उसका असर भी दिखने लगा है। 
- अर्थव्यवस्था में न केवल घरेलू निवेशकों का बल्कि विदेशी निवेशकों का भी भरोसा बढ़ा है।
- एंजेल ब्रोकिंग के अनुज गुप्ता के अनुसार यूएस एडमिनिस्ट्रेशन का कहना है कि अब नई पॉलिसी के लागू होने के बेस पर ही आगे नए निर्णय लिए जाएंगे। इससे डॉलर इंडेक्स में कमजोरी आई है। 
- कच्चे तेल की कीमतें नीचे आने से भी रुपए को मजबूती मिली है। 

इन कंपनियों को होगा फायदा
रुपया मजबूत होने से इंडियन ऑयल, एच.पी.सी.एल. और बी.पी.सी.एल. जैसी इंपोर्ट बेस्ड ऑयल कंपनियों का मार्जिन बढ़ सकता है। टाटा पावर और अडाणी पावर जैसी कोयले का आयात करने वाली पावर कंपनियों को भी रुपए में मजबूती से फायदा होगा। स्टैलियन असेट्स डॉट कॉम के सीआईओ अमीत जेसवानी का कहना है कि विदेशी करेंसी में कर्ज लेने वाली कंपनियों के लिए रुपए का मजबूत होना साकारात्मक है। भारती एयरटेल, आइडिया, आर-कॉम, GMR इंफ्रा जैसी कंपनियों पर विदेशी कर्ज ज्यादा है। इन्हें अब डॉलर में कम भुगतान करना होगा, जिससे इनकी बैलेंसशीट सुधरेगी। खपत आधारित कंपनियों में ब्रिटानिया, बाटा को फायदा हो सकता है।    
 

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