Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Sep, 2018 05:15 PM
कमजोर रुपया इकोनॉमी के लिए चिंता की वजह बना हुआ है, लेकिन रियल एस्टेट को इसका फायदा मिल रहा है। दरअसल, विदेशी मुद्रा में कमाई करने वाले गैर-प्रवासी भारतीयों (NRI) के...
नई दिल्लीः कमजोर रुपया इकोनॉमी के लिए चिंता की वजह बना हुआ है, लेकिन रियल एस्टेट को इसका फायदा मिल रहा है। दरअसल, विदेशी मुद्रा में कमाई करने वाले गैर-प्रवासी भारतीयों (NRI) के लिए भारत में अभी खरीददारी करना फायदे का सौदा है और रियल एस्टेट में उनका निवेश तेजी से बढ़ रहा है।
देश के रियल एस्टेट का 7-8% खरीदते हैं NRI
देश का रियल एस्टेट उद्योग करीब तीन हजार अरब रुपए का है, जिसमें से 7-8 फीसदी मकानों को एनआरआई खरीदते हैं। निसुस फाइनेंस के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ अमित गोयनका ने कहा कि इस प्रकार हर साल एनआरआई करीब 21,000-30,000 करोड़ रुपए की खरीददारी करते हैं। रुपए के कमजोर होने की वजह से हुए अवमूल्यन को एनआरआई 10 प्रतिशत तक की छूट के तौर पर देख रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 2 से 3 महीने के झुकाव पर गौर किया जाए तो एनआरआई द्वारा खरीद का आंकड़ा 10 से 12 फीसदी तक पहुंच सकता है।
एक बार फिर से तेजी पकड़ रहा है रियल एस्टेट बाजार
नारेडको के राष्ट्रीय अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी के मुताबिक, गैर-अनिवासी भारतीयों के लिए देश में 2012 जैसी ही स्थिति है, जब रुपए के मूल्य में गिरावट आई थी। उन्होंने कहा कि रियल एस्टेट कारोबार एक बार फिर से तेजी पकड़ रहा है, चीजें बेहतर हुई हैं। जहां परिसंपत्तियों के मूल्य पहले से ही 10-15 तक नीचे हैं, वहीं रुपए के वर्तमान मूल्य से 10-15 फीसदी का और अंतर आया है। इस स्थिति में एनआरआई खरीददार लौट रहे हैं।