Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Apr, 2018 07:25 PM
नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) को छोड़कर अन्य सभी पीएसयू बैंकों की कमान प्राइवेट हाथों में सौंप दी जानी चाहिए। आपको बता दें कि पिछले कई महीनों
नई दिल्लीः नीति आयोग के उपाध्यक्ष रहे अरविंद पनगढ़िया का कहना है कि सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एस.बी.आई.) को छोड़कर अन्य सभी पीएसयू बैंकों की कमान प्राइवेट हाथों में सौंप दी जानी चाहिए। आपको बता दें कि पिछले कई महीनों से सरकारी बैंकों में घोटाले को लेकर लगातार खबरें आ रही है। वहीं, कर्ज डूबने से बैंक लगातार घाटे में है। पनगढ़िया ने यह बात एक ब्लॉग में कही।
SBI को छोड़कर अन्य बैंकों का होना चाहिए नीजिकरण
बैंकिंग सेक्टर में सुधार की दिशा में सरकार और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आर.बी.आई.) की ओर से उठाए जा रहे कदमों का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा, 'ये सुधार स्वस्थ बैंकिंग तंत्र तैयार करने की दिशा में उठाए गए बड़े कदम हैं लेकिन ये पर्याप्त नहीं हैं। बड़े उद्देश्य के लिहाज से बैकिंग सेक्टर के पूर्ण आधुनिकीकरण में कुछ और सांगठनिक सुधारों की जरूरत होगी। ऐसा ही एक सुधार जिसे अगली सरकार को अपने अजेंडे में सबसे ऊपर रखने की दरकार है, वह है स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को छोड़कर सभी सरकारी बैंकों का निजीकरण करना।'
बैंकों की समस्या विरासत में मिली
पनगढ़िया का कहना है कि बैंकिंग सेक्टर को आर्थिक ग्रोथ की एक बड़ा इंजन करार देते हुए दावा किया कि भारत में यह सेक्टर काफी कमजोर प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा, 'मौजूदा सरकार को यह समस्या विरासत में मिली है। एक्सपर्ट्स जानते थे कि 'रीस्ट्रक्चर्ड' लोन की बड़ी रकम नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स (एनपीए) हो जाएगी लेकिन वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने इस दिशा में कदम बढ़ाने में सुस्ती दिखाई।