Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Feb, 2019 06:53 PM
रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार घिरी हुई है, विपक्ष पार्टियां खासकर कांग्रेस मोदी सरकार को रोजगार के मुद्दे पर घेरने में जुटे हैं। NSSO (National Sample Survey Office) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बेरोजगारी की दर
नई दिल्लीः रोजगार के मुद्दे पर मोदी सरकार घिरी हुई है, विपक्ष पार्टियां खासकर कांग्रेस मोदी सरकार को रोजगार के मुद्दे पर घेरने में जुटे हैं। NSSO (National Sample Survey Office) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में बेरोजगारी की दर पिछले 40 सालों के दौरान रिकॉर्ड स्तर पर है। हालांकि सरकार का कहना है कि अभी तक यह रिपोर्ट फाइनल नहीं है। नीति आयोग के वाइस चेयरमैन राजीव कुमार का कहना है कि अभी यह ड्राफ्ट रिपोर्ट है, जिसे अभी सरकार द्वारा वेरीफाई किया जाना बाकी है। ऐसी खबरें हैं कि आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए सरकार इस रिपोर्ट को दबाकर रखना चाहती है।
मुद्रा लोन योजना
एक खबर के अनुसार, मोदी सरकार ने बेरोजगारी के मुद्दे से बचने के लिए एक तरकीब निकाली है। दरअसल द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार मुद्रा (Micro Units Development & Refinance Agency) लोन योजना से मिले रोजगार के आंकड़ों का इस्तेमाल कर सकती है। मुद्रा लोन योजना के तहत मिले रोजगार के आंकड़े लेबर ब्यूरो सर्वे द्वारा जुटाए जाते हैं। अब सरकार लेबर ब्यूरो सर्वे के इन आंकड़ों को दिए गए रोजगार के तौर पर प्रचारित कर सकती है।
नीति आयोग ने श्रम मंत्रालय को दिए निर्देश
बता दें कि मुद्रा योजना के तहत सरकार नॉन कॉरपोरेट, नॉन-फार्म सेक्टर के लोगों को 10 लाख रुपए से कम का लोन उपलब्ध कराती है। मुद्रा लोन योजना के तहत अलग-अलग बैंकों में ब्याज दर अलग हो सकती है। नीति आयोग ने श्रम मंत्रालय को आंकड़े जुटाने और उन्हें 27 फरवरी तक पेश करने का निर्देश दिया है। खबर के अनुसार, लेबर ब्यूरो सर्वे के तहत अप्रैल, 2015 से लेकर 31 जनवरी, 2019 तक 1 लाख मुद्रा योजना के लाभार्थियों को शामिल किया जाएगा। नीति आयोग ने मंत्रालय से ये भी पूछा है कि मुद्रा योजना के तहत कितने लोगों को सीधा रोजगार मिला और कितनी अतिरिक्त नौकरियां मिली। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को भी एक कार्यक्रम के दौरान मोदी सरकार को बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरा। राहुल गांधी ने कहा कि रोजगार न मिलने के चलते युवाओं में गुस्सा है और दक्षिणपंथी इसका फायदा उठा रहे हैं।