इस साल रेलवे ने रद्द कीं करीब 9000 ट्रेनें, 1900 तो सिर्फ कोयला ढुलाई की वजह से करनी पड़ीं कैंसल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Jun, 2022 05:14 PM

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इस साल भारतीय रेलवे ने करीब 9000 ट्रेनें रद्द की हैं। इनमें से लगभग 1900 ट्रेनें तो सिर्फ पिछले तीन महीनों में कोयले की ढुलाई के मकसद से रद्द की गईं। इस बात का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है, जिसे चंद्र शेखर गौर ने फाइल किया था। उनकी आरटीआई पर रेलवे ने...

मुंबईः इस साल भारतीय रेलवे ने करीब 9000 ट्रेनें रद्द की हैं। इनमें से लगभग 1900 ट्रेनें तो सिर्फ पिछले तीन महीनों में कोयले की ढुलाई के मकसद से रद्द की गईं। इस बात का खुलासा एक आरटीआई से हुआ है, जिसे चंद्र शेखर गौर ने फाइल किया था। उनकी आरटीआई पर रेलवे ने कहा है कि 6995 ट्रेनें तो मेंटेनेंस और कंस्ट्रक्शन की वजह से रद्द की गईं, जबकि 1934 ट्रेनें मार्च से मई महीने के बीच कोयला ढुलाई के मकसद से रद्द की गईं।

कोयला संकट की वजह से पिछले दिनों कई ट्रेनों को रद्द किया गया ताकि उनकी जगह कोयले से भरी मालगाड़ चलाई जा सके और कोयला संकट से निपटा जा सके। कोयला संकट के चलते देश भर में बिजली संकट पैदा हो गया था और कटौती बहुत अधिक होने लगी थी, क्योंकि बिजली बनाने के लिए कोयला के स्टॉक खत्म हो रहा था। ऐसे में पैसेंजर ट्रेन की रेक्स को कोयले से भरी मालगाड़ी चलाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

आने वाले दिनों में भी रद्द होंगी ट्रेनें
भारतीय रेलवे ने यह भी कहा कि अगले कुछ सालों में 58 सुपर क्रिटिकल और 68 क्रिटिकल प्रोजेक्ट बनने हैं, जिनकी कुल लागत करीब 1.15 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में मेंटेनेंस और कंस्ट्रक्शन को प्राथमिकता देनी होगी, जिससे कई ट्रेनें रद्द होंगी। आरटीआई के अनुसार भारतीय रेलवे ने जनवरी से मई के बीच 3395 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें रद्द कीं। वहीं इस दौरान मेंटेनेंस और कंस्ट्रक्शन के चलते 3600 पैसेंजर ट्रेनें रद्द की गईं।

अभी भी लोगों को कनफर्म टिकट नहीं दे पा रहा रेलवे
जनवरी और फरवरी के दौरान कोयले की ढुलाई के लिए कोई भी ट्रेन रद्द नहीं की गई। पिछले 3 महीनों में कोयले की ढुलाई के मकसद से 880 मेल/एक्सप्रेस ट्रेनें और 1054 पैसेंजर ट्रेनें रद्द की गईं। भारतीय रेलवे अभी भी लोगों को कनफर्म टिकट मुहैया कराने में बहुत अधिक संघर्ष कर रहा है। इसकी एक वजह तो ये है कि ट्रेनों की कमी है और दूसरी वजह ये है कि नई ट्रेनें नहीं चलाई गई हैं। वहीं दूसरी ओर ट्रेनों की डिमांड पिछले कुछ सालों में बहुत तेजी से बढ़ी है।

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