'चीन के साथ व्यापार घाटे से US को 20 लाख नौकरियों का नुकसान'

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Mar, 2018 05:26 PM

trade deficit with china costs 2 mn jobs to us white house

चीन के साथ अमेरिका के भारी-भरकम ट्रेड डेफिसिट के चलते अमेरिका में करीब 20 लाख नौकरियां चली गईं। व्‍हाइट हाउस ने चीन के खिलाफ राष्‍ट्रपति डोनॉल्‍ड ट्रंप की कार्रवाई का बचाव करते हुए यह बात कही है। ट्रंप ने अमेरिकी बौद्धिक संपदा अधिकार पर अनुचित तरीके...

वाशिंगटनः चीन के साथ अमेरिका के भारी-भरकम ट्रेड डेफिसिट के चलते अमेरिका में करीब 20 लाख नौकरियां चली गईं। व्‍हाइट हाउस ने चीन के खिलाफ राष्‍ट्रपति डोनॉल्‍ड ट्रंप की कार्रवाई का बचाव करते हुए यह बात कही है। ट्रंप ने अमेरिकी बौद्धिक संपदा अधिकार पर अनुचित तरीके से जब्त करने के खिलाफ उसे दंडित करने के लिए 60 अरब डॉलर के आयात पर शुल्क लगाया है। इस कदम से दुनिया की दोनों बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में पहले चल रही खींचतान और बढ़ सकती है। उधर, चीन ने धमकी दी है कि वह इंपोर्ट के खि‍लाफ उठाए गए डोनाल्ड ट्रंप के कदम के बदले 3 अरब डॉलर की लागत वाले अमेरि‍की गुड्स पर टैरि‍फ लगाएगा। 

7 महीने की जांच के बाद लिया एक्‍शन 
ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को 60 अरब डॉलर के चीनी आयातित माल पर शुल्क लगाने के निर्देश दिए हैं। ट्रंप सरकार ने यह निर्णय चीन द्वारा बौद्धिक संपदा अधिकारों को चुराने पर 7 महीने की गहन जांच के बाद किया है। दूसरी तरफ, चीन ने भी अमेरिका के इस कदम का कड़ा जवाब देने की बात कही है। ट्रंप के फैसले के जवाब में चीन अमेरिका के पोर्क, एल्मुनियम समेत अन्य सामानों पर टैरिफ बढ़ा सकता है। बता दें, इससे पहले भी ट्रम्‍प प्रशासन ने स्टील-एल्यूमीनियम समेत कई अन्य सामानों पर आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया था। 

1 अरब डॉलर के ट्रेड डेफिसिट से 6000 जॉब लॉस 
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने पत्रकारों से कहा, "एक गणना के अनुसार बाजार खराब करने वाली नीतियों से प्रत्येक एक अरब डॉलर के व्यापार घाटे से हमें करीब 6,000 नौकरियों का नुकसान हुआ है। पारंपिरक गणना के हिसाब से चीन के साथ व्यापार घाटे से उसे 20 लाख अधिक नौकरियों का फायदा हुआ जबकि हमें 20 लाख नौकरियों का नुकसान। यह एक गंभीर मामला है।" 

अधिकारी ने बताया कि चीन की ‘अनुचित’ व्यापार नीतियों से अमेरिका का व्यापार घाटा 370 अरब डॉलर रहा है। इस पर ट्रंप सरकार ने कहा है कि यह चीन को तय करना है कि उसके साथ क्या कार्रवाई की जाए। उसके पास इस पर प्रतिक्रिया देने का विकल्प है क्योंकि उन्हें इन संबंधों से हमसे ज्यादा फायदा हुआ है। 

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