Edited By Supreet Kaur,Updated: 10 May, 2018 09:02 AM
अमरीकी कम्पनी वॉलमार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली है। यह सौदा 1 लाख करोड़ रुपए का रहा। इसके साथ ही भारतीय ट्रेडर्स द्वारा इस डील का किया जा रहा विरोध और तेज हो गया। ट्रेडर्स का कहना है कि वॉलमार्ट...
नई दिल्लीः अमरीकी कम्पनी वॉलमार्ट ने भारतीय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीद ली है। यह सौदा 1 लाख करोड़ रुपए का रहा। इसके साथ ही भारतीय ट्रेडर्स द्वारा इस डील का किया जा रहा विरोध और तेज हो गया। ट्रेडर्स का कहना है कि वॉलमार्ट ऑनलाइन मार्कीट के जरिए देश के ऑफलाइन बाजार में उतरेगी, जिससे छोटे रिटेलर्स का धंधा चौपट हो जाएगा।
इस डील से देश के 3 करोड़ रिटेलर्स को सीधे तौर पर नुक्सान होगा और 6 लाख नौकरियों पर संकट छा जाएगा। बता दें कि ट्रेडर्स ने इस डील को रोकने के लिए सरकार से भी अपील की थी। उन्होंने कॉमर्स मिनिस्ट्री को ज्ञापन दे मामले में दखल देने को भी कहा था।
देश बन जाएगा डंपिंग ग्राऊंड
कंफैडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के सैक्रेटरी जनरल प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील होने से वॉलमार्ट जैसी कम्पनियां दुनिया में से कहीं से भी सामान लाएंगी और देश को डंपिंग ग्राऊंड बना देंगी। भारतीय रिटेलर्स के लिए लेवल प्लेइंग फील्ड बराबर का नहीं रहेगा और वे कम्पीटिशन में पिछड़ जाएंगे। देश में इस वक्त लगभग 7 करोड़ रिटेलर्स हैं।
सरकार ने किया निराश तो जाएंगे कोर्ट
खंडेलवाल के मुताबिक हमें विदेशी कम्पनियों द्वारा भारत में इन्वैस्टमैंट पर एतराज नहीं है। विदेशी कम्पनियां एफ.डी.आई. के जरिए देश में निवेश करें लेकिन ई-कॉमर्स का सहारा लेना गलत है। खंडेलवाल के मुताबिक अगर सरकार इस मामले में कोई कदम नहीं उठाती है तो फिर ट्रेडर्स आंदोलन करेंगे और कोर्ट भी जाएंगे।