Edited By ,Updated: 05 Sep, 2016 04:37 PM
ज्यादातर हितधारकों ने दोहराया है कि सिर्फ लाइसेंसधारक कंपनियों को ही सार्वजनिक जगहों पर वाई-फाई की पेशकश की अनुमति दी जानी चाहिए
नई दिल्लीः ज्यादातर हितधारकों ने दोहराया है कि सिर्फ लाइसेंसधारक कंपनियों को ही सार्वजनिक जगहों पर वाई-फाई की पेशकश की अनुमति दी जानी चाहिए, वहीं कई ने प्रस्ताव किया है कि ऐसी सेवाओं को आगे बढ़ाने के लिए लाइसेंस वाली स्पैक्ट्रम की उपलब्धता बढ़ाई जानी चाहिए।
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने जुलाई में चर्चा पत्र जारी कर सार्वजनिक वाई-पाई नैटवर्क के जरिए उपलब्ध कराई जाने वाली ब्रॉडबैंड सेवाओं पर राय मांगी थी, जिसके तहत मोबाइल नैटवर्क की लागत के 10वें हिस्से में डाटा उपलब्ध हो जाएगा।
नियामक ने यह भी पूछा था कि क्या गैर-दूरसंचार कंपनियों को भी सार्वजनिक वाई-फाई हॉटस्पॉट स्थापित करने में भागीदारी की अनुमति दी जानी चाहिए। जिन हितधारकों ने अपनी टिप्पणियां सौंपी हैं उनमें औद्योगिक निकाय एसोचैम, सी.ओ.ए.आई., आई.एस.पी.ए.आई., आई.ए.एम.ए.आई. शामिल हैं, वहीं माइक्रोसॉफ्ट, सिस्को, रिलायंस जियो इन्फोकॉम, वोडाफोन और टेक महिंद्रा ने भी अपनी-अपनी राय भेजी है।
एसोचैम ने कहा, वाई-फाई तकनीक के जरिए वाणिज्यिक इंटरनैट एक्सैस मुहैया कराने की इच्छा रखने वाली इकाईयों को इस बाबत यूनिफाइड लाइसैंस लेने की दरकार होगी और ये चीजें सिर्फ लाइसैंस वाले टी.एस.पी./आई.एस.पी. के जरिए दी जा सकेगी जिनका अपना नैटवर्क हो।
सिस्को ने कहा है कि बिना लाइसैंस वाले वाई-फाई के इस्तेमाल के लिए 5 गीगाहर्ट्ज बैंड में और स्पैक्ट्रम मुहैया कराया जाना चाहिए। सिस्को ने कहा, अभी सिर्फ 5.825-5.875 गीगाहर्ट्ज बैंड के तहत ही ऐसी अनुमति है और 5.150-5.350 गीगाहर्ट्ज व 5.725-5.850 गीगाहर्ट्ज के तहत ऐसी अनुमति नहीं है।