Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Apr, 2019 12:21 PM
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्रधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा है कि व्हाट्सएप और स्काइप जैसी ओटीटी (ओवर-दी-टाप) सेवाओं को ट्राई के नियमों के दायरे में लाने पर कोई राय अगले माह के अंत तक तय की जा सकती है।
नई दिल्ली: भारतीय दूरसंचार विनियामक प्रधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा है कि व्हाट्सएप और स्काइप जैसी ओटीटी (ओवर-दी-टाप) सेवाओं को ट्राई के नियमों के दायरे में लाने पर कोई राय अगले माह के अंत तक तय की जा सकती है। उन्होंने कहा कि इस मामले में 'खुली सोच' रखने और यूरोपीय मॉडल तथा अन्य देशों में अपनाए गए अच्छे उपायों को ध्यान में रख कर निर्णय करना होगा।
शर्मा ने कहा कि ट्राई ने यूरोपीय संघ की नियामकीय संस्था (यूरोपीयन इलेक्ट्रानिक कम्यूनिकेशन कोड) और अन्य देशों में प्रचलित कुछ सबसे अच्छी व्यवस्थाओं का अध्ययन कर लिया है। इस मामले में किसी निष्कर्ष पर पहुंचते समय दुनिया में प्रचलित श्रेष्ठ व्यवस्थाओं को ध्यान में रखा जाएगा।
क्या है ओटीटी एप्प
ओटीटी ऐसे एप्प और सेवाओं को कहा जाता है जो इंटरनेट के जरिए हासिल की जाती है और दूसरे इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के कंधे पर चलती हैं। लोकप्रिय व्हाट्सएप, विबर, हाइक और स्काइप जैसी सेवाएं इसी श्रेणी में आती हैं। ट्राई इस मुद्दे पर खुली चर्चाएं करा रहा है। इसके लिए बुधवार को एक कार्यक्रम बेंगलूरू में आयोजित किया जा रहा है। इसी तरह का एक और कार्यक्रम जल्दी ही दिल्ली में आयोजित किया जाएगा।
शर्मा ने कहा, "हम इस बारे में खुली सोच के हैं। पहले की हर परिचर्चाओं के ही तरह इस बारे में भी हमने स्थापित प्रक्रिया का अनुपालन किया है। हो सकता है कि मई के अंत तक हम इस बारे में अपनी बात या विनियम तैयार करने में सफल हो जाएं।" ट्राई ने ओटीटी सेवाओं के बारे में परिचर्चा पत्र पिछले साल जारी किया था। इसमें सवाल किया गया था कि क्या इनको भी अन्य सेवा प्रदाताओं की तरह विनियामकीय दायरे में लाया जाए। हाल के दिनों में ऐसी सेवाओं की जांच परख तेज हुई है। सरकार भी सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी नियमों की समीक्षा कर रही है ताकि ऐसे मंचों को अधिक जवाबदेह बनाया जा सके।