सस्ते मोबाइल फोन सरकार के लिए मुसीबत, रिसाइकलिंग नहीं होने से बढ़ रहा है ई-कचरा

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Nov, 2019 06:26 PM

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भारत में सस्ते स्मार्टफोन का एक बड़ा मार्केट है, जो अब सरकार के लिए मुसीबत बन रहे हैं। दरअसल सस्ते स्मार्टफोन की लाइफ काफी कम होती है। इससे बड़ी तादाद में ई-कचरा पैदा होता है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि देश में हर साल करीब 30...

नई दिल्लीः भारत में सस्ते स्मार्टफोन का एक बड़ा मार्केट है, जो अब सरकार के लिए मुसीबत बन रहे हैं। दरअसल सस्ते स्मार्टफोन की लाइफ काफी कम होती है। इससे बड़ी तादाद में ई-कचरा पैदा होता है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि देश में हर साल करीब 30 करोड़ मोबाइल फोन खराब हो जाते हैं, जिनका दोबारा इस्तेमाल नहीं होता है। साथ ही सरकार इन खराब मोबाइल की रिसाइकलिंग भी नहीं कर पा रही है,जो सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन रही है।

अगले माह सभी राज्यों के मंत्रियों के साथ होगी बैठक
मोबाइल फोन से पैदा होने वाले कचरे के अलावा पतली प्लास्टिक और प्लास्टिक के छोटे पाउच को इकट्ठा न कर पाना भी सरकार के लिए चिंता का सबब है। हालांकि केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर की मानें, तो इस समस्या के निजात के लिए केंद्र सरकार अगले माह सभी राज्यों के पर्यावरण मंत्रियों के साथ एक बैठक करने जा रहे हैं। इस बैठक में सिंगल यूज प्लास्टिक और सॉलिड वेस्ट के मुद्दे को सुलझाने को लेकर चर्चा होगी, जिससे कोई रास्ता निकाला जा सकेगा।

रोजाना 25 से 30 टन पैदा होता है कचरा
मंत्री ने कहा कि देश में रोजाना करीब 25 से 30 टन प्लास्टिक वेस्ट पैदा होता है, जिसका केवल दो तिहाही कचरा ही इकट्ठा किया जाता है। बाकी प्लास्टिक रोड़, बीच और कूडे के ढ़ेर में जाकर पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती है। मंत्री ने सुझाव दिया कि आम लोग सिंगल यूज प्लास्टिक बैग की जगह जूट बैग का इस्तेमाल रोजाना के कामकाज में करना चाहिए। साथ ही सरकार बॉयो-डिग्रेडेबल प्लास्टिक के विकल्प को भी तलाश रही है।

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