Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Sep, 2018 06:23 PM
बेंगलुरु की नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरीज़ (NAL) और दिल्ली की मेस्को एयरोस्पेस लिमिटेड कंपनी के बीच 2 सीटों के प्लेन को बनाने के लिए समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत दोनों कंपनियां दो
बेंगलुरुः बेंगलुरु की नेशनल एयरोस्पेस लैबोरेटरीज़ (NAL) और दिल्ली की मेस्को एयरोस्पेस लिमिटेड कंपनी के बीच 2 सीटों के प्लेन को बनाने के लिए समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत दोनों कंपनियां दो सीटों वाले प्लेन 'हंस नेक्स्ट जनरेशन' (Hansa-NG) के डेवलपमेंट, प्रोडक्शन और मार्केटिंग का काम करेंगी। इस समझौते को काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने भी मंजूरी दे दी है।
80 लाख से 1 करोड़ तक होगी कीमत
दो सीटों वाले प्लेन के लिए देश-विदेश में भी सर्विस सेंटर बनाए जाएंगे। एनएएल का लक्ष्य इस विमान के बेसिक वर्जन को 80 लाख रुपए और फुल्ली लोडेड वर्जन को 1 करोड़ रुपए में बेचने का है। एनएएल का अनुमान है कि देश में 70 से 80 दो सीटर विमान की जरूरत है।
11 से 13 महीनों में होगा तैयार
NAL का दावा है कि दो सीटों वाला प्लेन हंस-एनजी 11 से 13 महिनों में बनकर तैयार होगा और 2019 तक उड़ान भरेगा। NAL ने एक बयान जारी कर कहा कि 2020 तक कमर्शियल फ्लाइट के तौर पर डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एसोसिएशन (DGCA) से इसे सर्टिफाइड करा लिया जाएगा। बयान के मुताबिक, NAL और मेस्को 'हंस-3 एयरक्राफ्ट' को ही मॉडिफाय करके नई टेक्नोलॉजी के साथ 'हंस-एनजी' बनाएंगे।
शौकिया उड़ान के लिए भी होगा
हंस-एनजी का उपयोग हवाई क्षेत्रों में चिड़ियों की टोह लेने या उसे भगाने के लिए, कैडेट प्रशिक्षण, तटीय क्षेत्रों की निगरानी और शौकिया उड़ान के लिए किया जा सकेगा। एनएएल के निदेशक जितेंद्र जे. जाधव ने एक बयान में कहा, 'कंपनियों के बीच हंस-नेक्स्ट जेनरेशन विमान के डिजायन, विकास, उत्पादन और विपणन का समझौता हुआ है, जिससे पायलट प्रशिक्षण के लिए स्वदेशी विमान की उपलब्धता बढ़ेगी।'