CII अध्यक्ष उदय कोटक की केंद्र से मांग, 25 हजार से कम सैलरी और नौकरी गंवाने वालों को कैश दे सरकार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Jun, 2020 03:08 PM

uday kotak demands from the center the government should give

कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन के कारण कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष उदय कोटक ने शनिवार को केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा

नई दिल्लीः कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन के कारण कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष उदय कोटक ने शनिवार को केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि जिन लोगों की सैलरी 25 हजार रुपए से कम है और उनकी नौकरी चली गई है, ऐसे लोगों के खाते में कैश ट्रांसफर करे। 

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50 से 75% सैलरी के बराबर पैसा दिया जाए
उदय कोटक ने कहा कि मुझे लगता है कि जो लोग 25 हजार रुपए से कम कमा रहे हैं और लॉकडाउन के कारण नौकरी गवां चुके हैं सरकार को उनके वेतन का करीब 50 से 75 प्रतिशत देना चाहिए। इसके अलावा कोरोना के कारण खराब हुए वित्तीय सिस्टम को देखते हुए 6 महीने का मोराटोरियम लेने वालों की ब्याज माफ की जानी चाहिए। देश के प्रमुख बैंकरों में शुमार उदय कोटक ने कहा कि सरकार को लैंड एंड लेबर रिफॉर्म और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर फोकस करना चाहिए ताकि अमेरिका से चल रहे ट्रेड वॉर के कारण चीन छोड़ने वाली कंपनियों को रिझाया जा सके।

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महामारी से भारत के लिए कारोबार के नए अवसर
उन्होंने कहा कि अगर देखा जाए तो इस महामारी ने भारत के लिए कारोबार के नए अवसर के रास्ते खोल दी हैं। केंद्र ने पहले ही 'आत्म निर्भर भारत' की घोषणा कर दी है साथ ही हाल के दिनों में कॉर्पोरेट टैक्स को भी कम कर दिया है। चीन और अमेरिका के बीच व्यापार युद्ध पहले से ही चल रहा है ऐसे में इन कंपनियों को भारत लाने का सही समय है लेकिन उन्हें यहां लाने के लिए हमें श्रम सुधार के साथ ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ाना होगा।

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कोटक ने कहा, सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की जरूरत
बता दें कि उदय कोटक ने कोविड-19 संकट से उबरने के लिए कहा था कि भारत को सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की जरूरत है चाहे राजकोषीय घाटा भले ही क्यों न बढ़े। इससे मांग और खपत में सुधार होगा। इसके अलावा, वित्तीय और राजकोषीय स्थिरता बनाए रखने पर भी ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को नागरिकों, कारोबार और वित्तीय क्षेत्र को उबारने के लिए वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के साथ साहसपूर्वक खर्च करना चाहिए।

मूडीज की ओर से भारत की सॉवरेन रेटिंग घटाए जाने पर उन्होंने कहा कि विश्लेषकों का कहना है कि राजकोषीय घाटे का बढ़ना सरकार के लिए 100 खरब डॉलर (10 ट्रिलियन डॉलर) के नुकसान के बराबर हो सकता है।

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