नए दिवालिया कानून का खौफ, फर्मों ने 830 बिलियन रुपए का ऋण किया चुकता

Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Jul, 2018 05:24 PM

under new bankruptcy law firms clear rs 830 billion in dues

मोदी सरकार ने दिवालिया कानून बैंकों से लोने लेने वाले डिफाल्टरों में भय पैदा कर दिया है जिसके परिणामस्वरुप बहुत सी फर्मों ने 830 बिलियन रुपए का कर्ज वापिस किया है।

बिजनेस डेस्कः मोदी सरकार ने दिवालिया कानून बैंकों से लोने लेने वाले डिफाल्टरों में भय पैदा कर दिया है जिसके परिणामस्वरुप बहुत सी फर्मों ने 830 बिलियन रुपए का कर्ज वापिस किया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2019 तक कुल बैड लोन का अनुपात 12.2 फीसदी बढ़ गया है जो कि पिछले वर्ष 11.6 फीसदी थी।

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नए कानून के अनुसार बहुत से डिफाल्टरों ने अपनी कंपनी के दिवालिया घोषित किए दाने के खतरे के डर से अपना ऋण चुकता कर दिया है। भारतीय दिवालियापन बोर्ड के चेयरमैन एम एस साहू ने 2016 में लागू किए गए कोड के बाद की अवधि का उल्लेख करते हुए कहा कि ऋण लेने और देने वालों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है। 

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देनदारों को मालूम हो गया है कि अगर निर्धारित समय पर ऋण का भुगतान न किया गया तो उनकी संपत्ति दिवालिया घोषित की जाएगी। साहू ने कहा कि दिवालिया याचिकाओं का सामना कर रही कंपनियों ने 830 बिलियन रुपए (12 बिलियन डॉलर) का ऋण चुकता कर दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि इससे उत्पाद की दर बढ़ाने में मदद मिलेगी और फेल हो रहे कारोबार को बचाया जा सकेगा। 

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दिवालिय कोड 100 वर्ष पुराने कानून के स्थान पर लागू किया जाएगा। भारत को विश्व बैंक के 100 प्रमुख देशों में काम कर रहे बिजनेस रैंकिंग में जगह बनाने के लिए 30 अंकों की छलांग लगाई है। नया कानून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की मुख पहल है, जिसका मकसद बैड लोन को खत्म करना और एशिया की तीसरी सबसे बड़ी विकास दर को बढ़ावा देना है। 

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नए कानून में ऋण देने वाले बैंकों को उन कंपनियों को दिवालिया कोर्ट में घसीटने की अधिकार दे दिया है जो एक लाख रुपए से अधिक ऋण पर 90 दिनों के लिए डिफाल्ट घोषित होता है। दिवालिया कोर्ट में कंपनी को घसीटे जाने के बाद एक प्रशासक नियुक्त किया जाता है जो कंपनी के रिवाइवल या उसकी बिक्री का अध्ययन करता है। अगर  तिमाहियों को भीतर मामला नहीं सुलझता तब कंपनी की संपत्ति की नीलामी की जा सकती है। इसका मकसद ऋणग्रस्त कंपनियों को फिर से अपने पांव पर खड़ा करना और बैंकों को 210 बिलियन डॉलर के बैड लोन से मुक्त करना है।

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