Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 02:21 PM
उच्चतम न्यायालय ने रियल एस्टेट कंपनी यूनीटेक लिमिटेड के प्रबंधन पर कब्जा के लिए केंद्र सरकार को 10 निदेशक मनोनीत करने संबंधी राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एन.सी.एल.टी.) के आदेश पर आज कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा,...
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने रियल एस्टेट कंपनी यूनीटेक लिमिटेड के प्रबंधन पर कब्जा के लिए केंद्र सरकार को 10 निदेशक मनोनीत करने संबंधी राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एन.सी.एल.टी.) के आदेश पर आज कड़ी आपत्ति दर्ज कराई। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने एन.सी.एल.टी. के आदेश के खिलाफ यूनीटेक की अपील की सुनवाई के दौरान कहा, हमसे अनुमति ली जानी चाहिए थी। जिस तरीके से एन.सी.एल.टी. ने आदेश पारित किया है वह बहुत ही दुखद है।
न्यायालय ने यह आपत्ति तब दर्ज कराई जब यूनीटेक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि न्यायाधिकरण ने अपना आदेश पारित करने से पहले कंपनी को नोटिस भी जारी नहीं किया। रोहतगी ने दलील दी कि जो बोर्ड उच्चतम न्यायालय के सवालों के जवाब देने के लिए उत्तरदायी था, उसे ही न्यायाधिकरण एक झटके में समाप्त कर दिया। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र सरकार से निर्देश हासिल करने के लिए कुछ वक्त मांगा, जिसके बाद न्यायालय ने मामले की सुनवाई कल तक के लिए स्थगित कर दी। अब मेहता कल सरकार का पक्ष रखेंगे।
गौरतलब है कि यूनीटेक ने एन.सी.एल.टी. के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है जिसमें केंद्र सरकार को कंपनी को टेकओवर करने का आदेश दिया गया था। दरअसल, कंपनी मामलों के मंत्रालय ने यूनीटेक का प्रबंधन अपने हाथों में लेने के लिए एन.सी.एल.टी. में अर्जी दायर की थी। मंत्रालय ने इसके लिए कंपनी पर कुप्रबंधन एवं धन के हेरफेर का आरोप लगाया है। गत आठ दिसंबर को एन.सी.एल.टी. ने यूनीटेक के 10 निदेशकों को निलंबित करते हुए कंपनी बोर्ड में सरकार को अपने निदेशक नियुक्त करने की अनुमति दे दी। एन.सी.एल.टी. के इसी फैसले के खिलाफ कंपनी शीर्ष अदालत पहुंची है।