आशियाने का सपना दिखाकर यूनिटेक ने 30 हजार लोगों को लगाया चूना, अब मोदी सरकार करेगी भरपाई

Edited By vasudha,Updated: 19 Jan, 2020 10:33 AM

unitech promoters diverted money of home buyers

रियल एस्टेट कम्पनी यूनिटैक ने आशियाने का सपना देखने वालों की खून-पसीने की कमाई को पचाने के लिए ठगी के तमाम पैंतरे आजमाए। केवल होम बायर्स ही नहीं बल्कि बैंकों को भी कम्पनी ने बेहद सफाई से चूना लगाया। यह खुलासा कम्पनी की फॉरैंसिक ऑडिट में सामने आया...

बिजनेस डेस्क: रियल एस्टेट कम्पनी यूनिटैक ने आशियाने का सपना देखने वालों की खून-पसीने की कमाई को पचाने के लिए ठगी के तमाम पैंतरे आजमाए। केवल होम बायर्स ही नहीं बल्कि बैंकों को भी कम्पनी ने बेहद सफाई से चूना लगाया। यह खुलासा कम्पनी की फॉरैंसिक ऑडिट में सामने आया है। यूनिटैक लिमिटेड की फॉरैंसिक ऑडिट की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि होम बायर्स और बैंकों द्वारा निवेश की गई रकम का इस्तेमाल मकान का निर्माण करने में नहीं, बल्कि उन्हें टैक्स हैवेन देशों में भेज दिया गया। कुल 29,800 होम बायर्स ने मकान खरीदने के लिए लगभग 14,270 करोड़ रुपए यूनिटैक के पास जमा करवाए और कम्पनी ने 74 हाऊसिंग प्रोजैक्ट्स को पूरा करने के लिए 6 वित्तीय संस्थानों से 1805.86 करोड़ रुपए का कर्ज लिया। यूनिटैक ग्रुप तथा उसकी सहायक कम्पनियों के बही खातों की जांच करने के बाद ऑडिटर्स ने बताया है कि होम बायर्स से लिए गए कुल 40 प्रतिशत (5063 करोड़ रुपए) रकम का इस्तेमाल मकान बनाने में नहीं किया गया जबकि 2389 करोड़ रुपए कहां गए इसका पता लगाना अभी बाकी है।

 

51  प्रोजैक्ट्स की जांच करने के बाद रिपोर्ट की फाइल
ऑडिटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय संस्थानों से ली गई लगभग 40 प्रतिशत (763 करोड़ रुपए) रकम का इस्तेमाल मकानों के निर्माण के लिए नहीं किया गया। ऑडिटर्स ने 51 प्रोजैक्ट्स की जांच करने के बाद रिपोर्ट फाइल की है और बाकी 23 प्रोजैक्ट्स का अभी तक विश्लेषण नहीं किया गया है क्योंकि कम्पनी इन प्रोजैक्ट्स से जुड़े डाटा उपलब्ध करवाने में विफल रही है। यह फॉरैंसिक रिपोर्ट यूनिटैक ग्रुप की जांच का आदेश देने वाली न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ तथा एम.आर. शाह की पीठ ने ऑडिट की रिपोर्ट को सौंपी।

 

मुखौटा कम्पनियों की बड़ी भूमिका 
फॉरैंसिक ऑडिटर्स ने बताया कि इसमें मुखौटा कम्पनियों की भी बड़ी भूमिका है। साल 2009-2011 के बीच यूनिटैक ने अपने पूर्ण स्वामित्व वाली 5 कम्पनियों को 493.72 करोड़ रुपए में 3 कम्पनियों को बेच दिया, जिसमें यूनिटैक को 294.30 करोड़ रुपए हासिल हुए। हालांकि बही-खातों में इन तीनों कम्पनियों के नामों का जिक्र नहीं किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2011 से लेकर अक्तूूबर 2013 तक यूनिटैक ने 237.63 करोड़ रुपए का कर्ज अपनी ही कम्पनी मिलेनियम कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को दिया। यह कर्ज एक कम्पनी में ग्रैंड्यूर बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड के नाम से शेयर खरीदने के लिए दिया गया लेकिन यूनिटैक को किसी शेयर का आबंटन नहीं किया गया और पूरा कर्ज अभी भी बकाया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि फंड्स का डायवर्जन उन कम्पनियों को भी किया गया है जिनके नाम का खुलासा नहीं किया गया है।

 

युद्धवीर सिंह मलिक को बनाया नया चेयरमैन  
यह दूसरी बार है जब केन्द्र ने इस तरह किसी कम्पनी का टेकओवर करने का विचार किया हो। इससे पहले 2009 में सत्यम का सरकार ने टेकओवर किया था, बाद में महिंद्रा आई.टी. ने कम्पनी को टेकओवर किया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत सरकार ने पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी युद्धवीर सिंह मलिक को चेयरमैन और मैनेजिंग डायरैक्टर नियुक्त किया है। इसके अलावा 6 अन्य डायरैक्टरों की नियुक्ति का भी प्रस्ताव है।

 

सरकार लिक्विडेशन प्रक्रिया को भी अपना सकती है
कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि केन्द्र यूनिटैक के अधूरे प्रोजैक्ट्स में पैसा नहीं लगाएगा। जो डायरैक्टर नियुक्त किए गए हैं, वे कानूनी प्रक्रिया से सुरक्षित रहेंगे। यह संभव है कि कोर्ट नवनियुक्त बोर्ड को यह कहे कि वह अनसोल्ड इन्वैन्ट्री को खाली करे और जरूरत पडऩे पर कोर्ट होल्ड फंड को जारी कर सकता है। इसके अलावा सरकार लिक्विडेशन प्रक्रिया को भी अपना सकती है।

 

प्रबंधन नियंत्रण अपने हाथ में लेने के प्रस्ताव पर पुनचर्वचार को तैयार हुई सरकार 
एक अहम घटनाक्रम के तहत केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय से कहा है कि वह कर्ज में फंसी कम्पनी यूनिटैक लिमिटेड का प्रबंधन अपने हाथ में लेने तथा कम्पनी की अटकी परियोजनाओं को पूरा करने के अपने 2017 के प्रस्ताव पर पुनॢवचार को तैयार है। इससे कम्पनी के 12,000 परेशान घर खरीदारों को राहत मिलने की उम्मीद है। केन्द्र सरकार ने न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली एक पीठ को 6 पन्नों के नोट में बताया है कि वह यूनिटैक लिमिटेड के प्रबंधन को हटाकर सरकार द्वारा नामित 10 निदेशक नियुक्त करने के दिसम्बर, 2017 के अपने प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को तैयार है। उच्चतम न्यायालय ने 18 दिसम्बर, 2019 को केन्द्र सरकार से पूछा था कि क्या वह 2017 के अपने प्रस्ताव पर विचार करने के लिए तैयार है क्योंकि यूनिटैक लिमिटेड की परियोजनाओं को किसी विशिष्ट एजैंसी द्वारा अपने हाथों में लेने की तत्काल जरूरत है ताकि घर खरीदारों के हित में अटकी परियोजनाओं को तय समय के भीतर पूरा किया जा सके। यूनिटैक के प्रवर्तक संजय चंद्रा और उनके भाई अजय चंद्रा घर खरीदारों से प्राप्त धन की हेराफेरी के आरोप में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं।

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