Edited By Pardeep,Updated: 13 Jul, 2018 04:58 AM
ईरान पर प्रतिबंध लागू होने से पहले जून में अमरीका से भारत की कच्चे तेल की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा बीते साल के मुकाबले लगभग दोगुने का है। एशियाई देशों ने तेल की आपूर्ति के लिए ईरान और वेनेजुएला की बजाय अमरीका का रुख किया है, जो...
ह्यूस्टन/नई दिल्ली: ईरान पर प्रतिबंध लागू होने से पहले जून में अमरीका से भारत की कच्चे तेल की खरीद रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। यह आंकड़ा बीते साल के मुकाबले लगभग दोगुने का है। एशियाई देशों ने तेल की आपूर्ति के लिए ईरान और वेनेजुएला की बजाय अमरीका का रुख किया है, जो ट्रंप प्रशासन के लिए एक तरह से जीत की तरह है।
आंकड़ों के मुताबिक जुलाई तक अमरीका के प्रोडयूर्स और ट्रेडर्स 15 मिलियन बैरल क्रूड ऑयल भारत भेजेंगे, जबकि 2017 में यह आंकड़ा महज 8 मिलियन बैरल ही था। यदि अमरीका से आने वाले सामान पर चीन ने टैरिफ में इजाफा किया तो फिर भारत की ओर से अमरीकी कच्चे तेल का आयात बढ़ सकता है। चीन के टैरिफ के चलते भारत को फायदा होगा क्योंकि अमरीका को कीमतें घटानी पड़ सकती हैं।
यानी कि अमरीका-चीन लड़ाई से भारत में सस्ते तेल की बहार आ सकती है। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में फाइनांस हैड ए.के. शर्मा ने कहा कि अमरीकी क्रूड की मांग में इसलिए इजाफा हुआ है क्योंकि उसकी कीमत कम है। यदि चीन की ओर से अमरीकी तेल के आयात में कमी की जाती है तो यह गिरावट और बढ़ सकती है। ऐसा होता है तो भारत की ओर से क्रूड के इंपोर्ट में और इजाफा होगा।