Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Jun, 2019 02:35 PM
अमेरिकी विदेश विभाग के इस फैसले से भारत के उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जो वहां जाकर कमा करते हैं। गुरुवार को विदेश विभाग ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के पास उन देशों के लिए H-1B वीजा जारी करने को कम करने कोई योजना नहीं है।
नई दिल्लीः अमेरिकी विदेश विभाग के इस फैसले से भारत के उन लोगों को काफी राहत मिलेगी, जो वहां जाकर कमा करते हैं। गुरुवार को विदेश विभाग ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के पास उन देशों के लिए H-1B वीजा जारी करने को कम करने कोई योजना नहीं है।
बुधवार को अमेरिका ने भारत को बताया था कि वह डेटा स्टोरेज की जरूरत वाले देशों के लिए H-1B वीजा प्रोसेस को बैन करने पर विचार कर रहा है। H-1B कुशल विदेशी श्रमिकों के लिए अमेरिकी वीजा जारी करता है।
विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा, 'ट्रंप प्रशासन के पास उन राष्ट्रों पर रोक लगाने की योजना नहीं है, जो विदेशी कंपनियों को स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोर करने के लिए रोक रहे हैं।'
पहले कही थी H-1B वीजा की संख्या घटाने की बात
अमेरिका ने भारत से कहा था कि वो H-1B वीजा की संख्या सीमित करने पर विचार कर रहा है। ये नियम उन देशों पर लागू किया जाएगा, जो विदेशी कंपनियों को अपने यहां डेटा जमा करने के लिए बाध्य करती है।
बुधवार को भारत के दो सीनियर अधिकारियों को अमेरिका ने वीजा पाबंदी के बारे में बताया था। अमेरिका हर साल 85000 लोगों को H-1B वीजा देता है। जिसमें से ये वीजा 70 फीसदी वीजा भारत के लोगों को दिया जाता है।
क्या है डेटा विवाद
विदेशी कंपनियों को भारत में ही डेटा रखने को कहा जाता है। इससे कंपनी पर नियंत्रण करने में आसानी होती है लेकिन विदेशी कंपनियों की ताकत कम हो जाती है। लिहाजा अमेरिका की कंपनियां इस कदम से खुश नहीं है। कहा जा रहा है कि अमेरिका की कुछ कंपनियां भारत के डेटा को लेकर नए नियम से नाराज है। खास कर मास्टरकार्ड ने डेटा स्टोरेज के नए नियम पर आपत्ति जताई है।
क्या एच1बी वीजा?
एच1बी वीजा ऐसे विदेशी प्रोफेशनल्स के लिए जारी किया जाता है, जो किसी 'खास' काम में कुशल होते हैं। इसके लिए आम तौर उच्च शिक्षा की जरूरत होती है। कंपनी में नौकरी करने वालों की तरफ से एच 1 बी वीजा के लिए इमीग्रेशन विभाग में आवेदन करना होता है। ये व्यवस्था 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शुरू की थी।