Edited By ,Updated: 09 Jul, 2016 05:52 PM
अमरीकी सांसदों के द्विदलीय समूह ने प्रतिनिधि सभा में एक विधेयक पेश किया है जो यदि पारित हो जाता है तो भारतीय कम्पनियों पर एच-1बी और एल1 वीजा के
वॉशिंगटन: अमरीकी सांसदों के द्विदलीय समूह अमरीका के निचले सदन में एक बिल लेकर आया है जिसे अगर पास कर दिया गया तो भारतीय कम्पनियों के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है। यानि अगर यह बिल पास होता है तो भारतीय कम्पनियां आई.टी. पेशेवरों को एच-1बी और एल1 वर्क वीज़ा के तहत नौकरी नहीं दे पाएंगीं। गौरतलब है कि अमरीका स्थित बड़ी भारतीय आई.टी. कम्पनियों की आय का ढांचा काफी हद तक अमरीका में एच-1बी और एल1 वीजा पर निर्भर रहता है। यही वजह है कि यह बिल उनके व्यवसाय पर बुरा प्रभाव डाल सकता है।
ज्यादा कर्मचारी एच-1बी और एल1 वीजा धारक
इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि एच-1बी और एल1 वीजा रिफोर्म एक्ट 2016 के लाए जाने से 50 से ज्यादा कर्मचारी वाली कम्पनियां उन लोगों को नौकरी नहीं दे पाएंगी जो एच-1बी वीजा पर अमरीका काम करने आते हैं। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ज्यादातर भारतीय कम्पनियों में पचास प्रतिशत से ज्यादा कर्मचारी एच-1बी और एल1 वीज़ा धारक हैं।
गौरतलब है कि इस बिल को लाने वाले प्रायोजक उन अमरीकी राज्यों से हैं जहां सबसे ज्यादा भारतीय अमरीकी रहते हैं। सांसद बिल पासरेल का कहना है कि 'अमरीका में ऊंची डिग्री वाले कई हाई-टेक पेशेवर तैयार हो रहे हैं लेकिन उनके पास नौकरियां नहीं हैं। विदेशी कर्मचारियों से काम करवा कर कई कम्पनियां वीज़ा प्रोग्राम का दुरुपयोग कर रही है और अपने फायदे के लिए हमारे वर्कफोर्स की कटौती कर रही हैं।'
क्या है एच-1बी वीज़ा
अमरीका का एच-1बी वीज़ा के तहत अमरीका कम्पनियां उन विदेशी कर्मचारियों को काम के लिए बुला सकती हैं जिन किसी तरह की तकनीकी विशेषज्ञता हासिल है। इस वीजा के तहत एक अमरीकी कम्पनी विदेशी कर्मचारी को 6 साल तक के लिए नौकरी पर रख सकता है। अमरीका के ग्रीन कार्ड हासिल करने की तुलना में यह वीजा जल्दी ही हासिल किया जा सकता है और यही वजह है कि ज्यादातर भारतीय कम्पनियां अपने स्टाफ को लंबे वक्त के लिए इस वर्क वीजा के तहत अमरीका बुला लेती है। कई भारतीय कम्पनियों में काम करने वाले आई.टी. पेशेवर इसी वीज़ा पर अमरीका में नौकरी कर रहे हैं और इस बिल के आने से इस तरह नौकरी पर रखा जाना मुश्किल हो सकता है।
सांसदों का कहना है कि इस एक्ट के आने से वीज़ा प्रोग्राम की कमियां दूर की जा सकेंगी, साथ ही इससे धोखाधड़ी के मामले भी कम होंगे, अमरीकी कर्मचारियों के साथ वीजा धारकों के लिए भी काफी सुरक्षा मिलेगी, विदेशियों को नौकरियों देने के मामले में पारदर्शिता होगी और कानून का उल्लंघन करने वालों को उपयुक्त सज़ा भी मिलेगी।