भारत के 5 हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की यात्रा में अमेरिका तरजीही व्यापार भागीदार: राजदूत

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Feb, 2020 05:38 PM

us preferential trade partner in india s journey to become

भारत 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की अपनी राह में अमेरिका के साथ व्यापार व कारोबार में भागोदारी को उच्च मान देता है। अमेरिका में भारत के नए राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही। अमेरिका-भारत रणनीतिक...

वाशिंगटनः भारत 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की अपनी राह में अमेरिका के साथ व्यापार व कारोबार में भागोदारी को उच्च मान देता है। अमेरिका में भारत के नए राजदूत तरणजीत सिंह संधू ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में यह बात कही। अमेरिका-भारत रणनीतिक एवं भागीदारी फोरम ने यहां संधु के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया था।

संधु ने कार्यक्रम में अमेरिका के कारोबारी समुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच तालमेल की संभावनाएं असीम हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को तीन हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था से आगे बढ़ाकर 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर और 2030 तक दस हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि इस यात्रा में भारत के लिए अमेरिका के साथ व्यापार व कारोबार क्षेत्र में भागीदार महत्वपूर्ण होगी।'' 

संधु ने कहा, ‘‘हमारी सरकारों के बीच संबंधों को एक नई गति मिली है। इसे हमारे नेताओं के बीच गर्मजोशी भरे संबंध से शक्ति मिल रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की पिछले साल आपस में चार मुलाकातें हुई थीं।'' उन्होंने कहा कि दोनों देश के उद्यमी और कारोबारी दोनों देशों के संबंधों के महत्वपूर्ण हिस्सेदार है। राजदूत ने कहा कि भारत में अमेरिका की दो हजार से अधिक कंपनियां कारोबार कर रही हैं। 

भारत की 200 से अधिक कंपनियों ने अमेरिका में 18 अरब डॉलर का निवेश किया है जिससे रोजगार के एक लाख से अधिक प्रत्यक्ष अवसर सृजित हुए हैं। दोनों देशों का द्विपक्षीय निवेश 2018 मे बढ़कर 60 अरब डॉलर पर पुंच गया था। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार सालाना आधार पर 10 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और 2019 में 160 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। संधु ने कहा, ‘‘यह मुझमें हमारे दोनों देशों के बीच के संबंधों के प्रति उत्साह भरता है और अभी इसमें बहुत कुछ संभव है। अमेरिका की पूंजी और विशेषज्ञता तथा भारतीय बाजार व मस्तिष्क के मेल से कोई भी मंजिल दूर नहीं हो सकती है।''
 

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