Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Feb, 2018 04:27 PM
जल्द ही नई गाड़ी खरीदने और पुरानी का खर्च बढ़ सकता है। इसका मुख्य कारण है कि टायर महंगे हो सकते हैं जिसका सब से बड़ा बोझ ट्रांसपोर्टरों पर पड़ेगा। दरअसल, रबड बोर्ड ने उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान प्रकट किया है,
नईं दिल्ली: जल्द ही नई गाड़ी खरीदने और पुरानी का खर्च बढ़ सकता है। इसका मुख्य कारण है कि टायर महंगे हो सकते हैं जिसका सब से बड़ा बोझ ट्रांसपोर्टरों पर पड़ेगा। दरअसल, रबड बोर्ड ने उत्पादन में भारी गिरावट का अनुमान प्रकट किया है, जिसके साथ टायर कंपनियों के सामने बड़ी समस्या होने का खदशा है और साथ ही उनके मनाफे पर भी प्रभाव पड़ेगा। लिहाजा कंपनिया इसका बोझ ग्राहकों पर डाल सकती हैं। रबड बोर्ड ने 2017 -18 में घरेलू कुदरती रबड का उत्पादन 7.3 लाख टन और उपभोग 11 लाख टन रहने का अनुमान लगाया है। इस तरह 3.7 लाख टन रबड की कमी रहेगी, जो पिछले साल में 3.5 लाख टन की कमी के अंकड़ो की अपेक्षा ज्यादा है।
वाहन टायर निर्माता संघ ने कामर्स और उद्योग मंत्रालय ने एक पत्र में द्वारा बताया है कि देश में कुदरती रबड की कमी के अनुमानों के कारण टायर उद्योग चिंतित है। वाहन टायर निर्माता संघ में 11 बड़ी कंपनियां - अपोलो टायर लिमिटेड, ब्रजिस्टोन इंडिया प्राईवेट लिमिटेड, जे. के. टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड , टी. वी. ऐस्स. टायरस, बरिला टायरस, कांटीनैंटल इंडिया लिमिटेड, सियट लिमिटेड, गुडईयर इंडिया लिमिटेड, मशेलिन इंडिया प्राईवेट लिमिटेड, योकोमा इंडिया और एम. आर. एफ. लिमिटेड शामल हैं। इन का देश के कुल टायर उत्पादन 90 प्रतिशत से ज्यादा योगदान है। उद्योग ने घरेलू उत्पादन में कमी के कारण कुदरती रबड की इम्पोर्ट ड्यूटी पर छूट की मांग की है , यदि सरकार इस मांग को नहीं मानती है तो टायरों की कीमतों में जल्द विस्तार हो सकता है।