ब्रिटेन में भारतीय छात्रों के लिए वीजा नियम आसान नहीं

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jun, 2018 07:16 PM

visa rules are not easy for indian students in britain

ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि अवैध रुप से आए व्यक्तियों की वापसी के लिए प्रस्तावित पारस्परिक करार पर भारत की ओर से हस्ताक्षर से मना किए जाने के कारण ही भारतीय छात्रों के लिए वीजा नियम आसान नहीं किए गए।

लंदनः ब्रिटेन की सरकार ने कहा है कि अवैध रुप से आए व्यक्तियों की वापसी के लिए प्रस्तावित पारस्परिक करार पर भारत की ओर से हस्ताक्षर से मना किए जाने के कारण ही भारतीय छात्रों के लिए वीजा नियम आसान नहीं किए गए। ब्रिटेन ने भारत को ऐसे देशों की सूची से बाहर रखा है जिनके छात्रों के लिए प्रवेश की अनुमति देने के नियम आसान रखे गए हैं।

ब्रिटेन के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार मंत्री लियाम फाक्स ने कहा कि भारत को उन देशों की सूची से अलग रखा गया है जिनके छात्र ब्रिटेन के विश्वविद्यालयों में प्रवेश देने की प्रक्रिया अधिक सहज बनाई गई है। उन्होंने कहा कि इसका कारण तय सीमा से अधिक समय तक ब्रिटेन में रहने वाले भारतीयों की वापसी के मुद्दे पर सहमति नहीं बन पाना है। इस सूची का विस्तार किया गया है और इसमें इस विस्तारित सूची में चीन, मालदीव, मेक्सिको तथा बहरीन जैसे देश शामिल हैं। 

सोमवार को यूके-इंडिया सप्ताह शुरू होने के मौके पर फाक्स ने कहा, ‘‘हमें इस बारे में भारत से लगातार बातचीत करने की जरूरत है। आसान नियम की हमेशा मांग रहती है लेकिन हम निर्धारित समय से अधिक रूकने वालों के मुद्दे के समाधान के बिना इस पर विचार नहीं कर सकते।’’ यह पूछे जाने पर कि क्या अवैध आव्रजकों के मामले में एमओयू पर हस्ताक्षर से भारत के इनकार के कारण उसे विस्तारित सूची से अलग रखा गया है, मंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चचित करना महत्वपूर्ण है कि सभी मुद्दों पर संतुलित रूप से गौर किया जाए।

उन्होंने इस कदम से दोनों देशों के बीच व्यापार संभावना पर पडऩे वाले असर को खारिज किया। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के साथ हमारा संबंध मजबूत है और यह केवल व्यापार से नहीं जुड़ा है।’’ राष्ट्रमंडल देशों के प्रमुखों की बैठक में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अप्रैल के मध्य में ब्रिटेन यात्रा से पहले भारतीय मंत्रिमंडल ने अवैध रूप से रहने वाले भारतीय आव्रजकों तथा भारत में रहने वाले अवैध ब्रिटिश आव्रजकों से संबंधित एमओयू को मंजूरी दे दी थी। प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान करीब 25 एमओयू पर हस्ताक्षर होने थे जिसमें यह भी शामिल था। 

हालांकि अंतिम समय में भारत ने समझौते पर हस्ताक्षर से इनकार कर दिया। इसका कारण विदेश मंत्रालय द्वारा कुछ आपत्ति थी। मंत्रालय का कहना था कि भारतीय एजेंसियों को बिना वैध दस्तावेज के रह रहे भारतीयों की पृष्ठभूमि के सत्यापन के लिए केवल 15 दिन का समय देने का प्रस्ताव है।

 
 
 

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