वॉलमार्ट के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन 2 जुलाई को

Edited By Pardeep,Updated: 30 Jun, 2018 03:48 AM

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खुदरा क्षेत्र की वैश्विक दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच हुए सौदे के खिलाफ 2 जुलाई को देशव्यापी प्रदर्शन की योजना बन रही है। इसमें 7,00,000 से ज्यादा कारोबारियों, कर्मचारियों, किसानों, राजनीतिक समूहों के शामिल होने की संभावना है। यह...

नई दिल्ली: खुदरा क्षेत्र की वैश्विक दिग्गज कंपनी वॉलमार्ट और फ्लिपकार्ट के बीच हुए सौदे के खिलाफ 2 जुलाई को देशव्यापी प्रदर्शन की योजना बन रही है। इसमें 7,00,000 से ज्यादा कारोबारियों, कर्मचारियों, किसानों, राजनीतिक समूहों के शामिल होने की संभावना है। यह प्रदर्शन देश की 1000 जगहों में होगा। 

वॉलमार्ट द्वारा 16 अरब डॉलर से ज्यादा निवेश कर फ्लिपकार्ट में 77 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने की घोषणा के पहले भी भारत के सबसे बड़े ऑनलाइन मार्कीटप्लेस के अधिग्रहण की राह उतार-चढ़ाव से भरपूर रही। वॉलमार्ट के वरिष्ठ प्रबंधक अपने फैसले को लेकर चिंतित होने लगे कि इतनी बड़ी राशि निवेश के बाद फर्म को फिलहाल लाभ नहीं होने जा रहा है, वहीं भारत के कारोबारी समूहों ने देश की संबंधित एजैंसियों के पास एक के बाद एक याचिकाएं दाखिल करना शुरू कर दिया।

कारोबारी समूह कन्फैडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) की ओर से आयोजित विरोध प्रदर्शन में स्वदेशी जागरण मंच जैसे संगठन भी शामिल होंगे। इसके अलावा किसानों के अधिकारों की लड़ाई लडऩे वाले संगठन भी इसका हिस्सा होंगे। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि वह सौदे को रद्द करे और ई-कॉमर्स के लिए नीति व नियामकीय प्राधिकरण का गठन करे। हम इससे प्रभावित होने वाले विभिन्न संबंधित पक्षों से बात कर रहे हैं और 2 जुलाई को व्यापक प्रदर्शन करेंगे। जिन शहरों में प्रदर्शन होगा वहां जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा जाएगा। दिल्ली में हम वित्त मंत्री या वाणिज्य मंत्री को ज्ञापन देंगे। 

2007 की याद हुई ताजा
प्रदर्शन की इस योजना ने 2007 की याद ताजा कर दी है जब भारती एंटरप्राइजेज से वॉलमार्ट ने समझौता किया था। वॉलमार्ट के भारत में प्रवेश के खिलाफ उस समय हजारों की संख्या में खुदरा कारोबारियों, किसानों, राजनीतिक समूहों ने देश भर में प्रदर्शन किया था। इस सौदे के खिलाफ पिछले 2 महीने में 25 शिकायतें विभिन्न एजैंसियों को भेजी गई हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.), भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सी.सी.आई.), भारतीय रिजर्व बैंक (आर.बी.आई.), आयकर विभाग के साथ राज्य सरकार की कई एजैंसियों के पास विभिन्न संगठनों ने इस सौदे के खिलाफ शिकायत की है।

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