पानी का मुद्दा भविष्य में चुनावी राजनीति को प्रभावित करेगा: अमिताभ कांत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Sep, 2017 04:24 PM

water issue will affect electoral politics in future  amitabh kant

नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने जल के प्रभावी प्रबंधन पर ...

नई दिल्लीः नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अमिताभ कांत ने जल के प्रभावी प्रबंधन पर जोर देते हुए आज कहा कि पानी एक अहम मुद्दा है और भविष्य में यह मुद्दा चुनावी राजनीति को प्रभावित करेगा। उद्योग मंडल सी.आई.आई. द्वारा आयोजित जल सम्मेलन में कांत ने कहा, ‘‘जल एक ऐसा मुद्दा है जो भविष्य में होने वाले चुनावी राजनीति को प्रभावित करेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जो सरकार जल का प्रबंधन नहीं करती, वह चुनाव हारेगी। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि जल को केंद्र में लाया जाए।’’ भूमिगत जल के अधिक दोहन पर उन्होंने कहा, ‘‘अगर उत्तर भारत, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली को देखें, हमारे पास कोई नियमन नहीं है। इसके कारण एक दशक में जल का अधिक दोहन हुआ है।’’
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कांत ने सिंचाई में इस्तेमाल होने वाली बिजली आपूर्ति के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए फीडर अलग किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे पहले से जल की कमी है। हम तेजी से दुर्लभ जल की स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं। चुनौती यह है कि उसके जल संसाधन के प्रबंधन के लिए आगे क्या रास्ता है।’’ उद्योग के अनुमान के अनुसार देश में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है और ताजा जल का संसाधन केवल 4 प्रतिशत है। सिंचाई में करीब 84 प्रतिशत पानी की खपत होती है। औद्योगिक एवं घरेलू उपयोग क्रमश: 12 प्रतिशत और 4 प्रतिशत है। सिंचाई में भूमिगत जल के उपयोग की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत है। देश में भूमिगत जल पर निर्भरता है। कांत ने कहा,‘‘भारत एक ग्राम फसल उत्पादन के लिए चीन, ब्राजील और अमरीका की तुलना में 2 से 4 प्रतिशत अधिक पानी की खपत करता है। इस लिहाज से ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ काफी महत्वपूर्ण है।     

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