जानिए, चढ़ावा बढ़ाने के लिए क्या-क्या तरीके अपना रहे हैं मंदिर?

Edited By ,Updated: 26 Nov, 2016 04:32 PM

ways to enhance offerings in temples

नोटबंदी का असर देश के सबसे ज्यादा चढ़ावा पाने वाले मंदिरों पर बहुत अधिक पड़ा है।

नई दिल्लीः नोटबंदी का असर देश के सबसे ज्यादा चढ़ावा पाने वाले मंदिरों पर बहुत अधिक पड़ा है। कई मंदिरों में डोनेशन पाने के कई नए तरीके निकाले हैं। कुछ ने मंदिर में ही एटीएम खुलवा दिया है तो कोई ई-वॉलिट शुरू कर चुका है।

500 और 1000 के नोट न चढ़ाने के लगाए बोर्ड 
कुछ मंदिरों ने 500 और 1000 के नोट न चढ़ाने के बोर्ड लगा दिए थे वहीं कुछ मंदिर ये नोट ले रहे थे। पुरी के जगन्नाथ मंदिर में सेवकों को चेक के द्वारा पेमेंट दी जाएगी। जिससे कैश ट्रांजेक्शन्स कम से कम हों। मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर और गुजरात के सोमनाथ मंदिर ने पेटीएम के जरिए डोनेशन लेने शुरू कर दिए हैं। श्री सोमनाथ मंदिर ने पुराने नोट लेने से मना कर दिया है। अब मंदिर कार्ड, चेक और डिमांड ड्राफ्ट के जरिए ही डोनेशन ले रहे हैं।

50% तक गिरी कलैक्शन
सिद्धिविनायक मंदिर प्रशासन ने बताया, 'हम अब 500 और 1000 के पुराने नोट नहीं ले रहे हैं। हमारा औसत कलैक्शन 6 लाख रोजाना से गिरकर 3.5 लाख रुपए तक आ गई है।' मंदिरों को अपने प्रांगण में ही एटीएम खोलने पर विचार किया है इसके लिए कई बैंकों के साथ मंदिर प्रशासन ने बात भी की है। वहीं अभी के लिए पेटीएम जैसे ई-वॉलिट इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं।

इस मंदिर को नहीं पड़ा कोई फर्क
तिरुपति मंदिर ही संभवत इकलौता मंदिर है जिसे नोटबंदी से कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। मंदिर के प्रवक्ता ने बताया, 'आमतौर पर हमें 3 करोड़ के आसपास चढ़ावा मिलता था। मंगलवार को मंदिर में 4 करोड़ से ज्यादा चढ़ावा था।' इसका एक कारण यह भी है कि मंदिर ने पुराने नोट लेने संबंधी कोई रोक नहीं लगाई है। 

 

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