Edited By ,Updated: 08 Feb, 2017 06:39 PM
भारती एयरटेल तथा रिलायंस जियो के बीच वाकयुद्ध तेज होने के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज जोर देकर कहा कि पॉइंट आफ इंटरकनेक्ट (पीआेआई) उपभोक्ताओं का मुद्दा है और वह इसकी निगरानी करता रहेगा।
नई दिल्लीः भारती एयरटेल तथा रिलायंस जियो के बीच वाकयुद्ध तेज होने के बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने आज जोर देकर कहा कि पॉइंट आफ इंटरकनेक्ट (पीआेआई) उपभोक्ताओं का मुद्दा है और वह इसकी निगरानी करता रहेगा।
ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा ने आईएएमएआई डिजिटल सम्मेलन के मौके पर अलग से बातचीत में कहा, ‘‘हम इस मुद्दे पर विचार विमर्श कर रहे हैं। यह इस और उस ऑपरेटर के बीच का मुद्दा नहीं है। यह उपभोक्ताओं का मुद्दा है।’’
शर्मा ने कहा कि नियामक ने इस मुद्दे में हस्तक्षेप किया है। उन्होंने कहा कि नियामक इस पर लगातार निगाह रखेगा। नियामक के इस बयान से एक दिन पहले एयरटेल और रिलायंस जियो ने पॉइंट आफ इंटरकनैक्शन के प्रावधान पर कल एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाए थे।
उल्लेखनीय है कि कॉल कनैक्टिविटी को लेकर रिलायंस जियो व एयरटेल में विवाद चल रहा है। रिलायंस जियो ने कल बयान में कहा था कि एयरटेल द्वारा उसे नैटवर्क से उसकी काल जोडऩे की पर्याप्त सुविधा (प्वाइंट आफ इंटरकनैक्ट की सुविधा) नहीं उपलब्ध कराया है जिसके कारण उसके उपयोक्ताआें द्वारा की वाली देश के अंदर लंबी दूरी की दैनिक 2.6 करोड़ यानी 53.4 प्रतिशत फोन कॉल विफल हो रही हैं।
कंपनी का कहना है कि ट्राई के नियमों के अनुसार यह कॉल ड्रॉप दर 0.5 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए। भारती एयरटेल ने कहा था कि रिलायंस जियो को 19 करोड़ तक ग्राहकों को सेवा देने के लिए पर्याप्त (पीआेआई) क्षमता उपलब्ध कराई है लेकिन जियो उसे उपयोग में लाने में विफल रही है।
रिलांयस जियो ने एयरटेल के इस दावे को ‘प्रतिस्पर्धा विरोधी व उपभोक्ता विरोधी’ बताते हुए कहा है कि एयरटेल ने उसे सर्किलों के अंदर की काल के लिए 31 जनवरी तक कुल 18,557 इंटरकनैक्शन प्वाइंट उपलब्ध कराए थे जबकि जरूरत 23,502 की थी। इसी तरह एनएलडी के लिए 10043 नैटवर्क अंतरसंयोजन स्थलों की जरूरत थी पर 4,432 संपर्क प्वाइंट ही उपलब्ध कराए गए थे।