Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Apr, 2022 11:03 AM
भारत में निवेशकों के बीच हरित या ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) कोषों में निवेश को लेकर टिकाऊ धारणा का विकास नहीं हो पाया है। बीते वित्त वर्ष 2021-22 में इन कोषों से 315 करोड़ रुपए की निकासी देखने को मिली। इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में इन...
नई दिल्लीः भारत में निवेशकों के बीच हरित या ईएसजी (पर्यावरण, सामाजिक और शासन) कोषों में निवेश को लेकर टिकाऊ धारणा का विकास नहीं हो पाया है। बीते वित्त वर्ष 2021-22 में इन कोषों से 315 करोड़ रुपए की निकासी देखने को मिली। इससे पहले वित्त वर्ष 2020-21 में इन कोषों में 4,884 करोड़ रुपए का निवेश आया था।
मॉर्निंगस्टार इंडिया द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, 2020-21 से पहले सतत या हरित कोषों में 2,000 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ था। विशेषज्ञों का कहना है कि आगे चलकर ईएसजी कोष भारत में संपत्ति प्रबंधकों की कुल निवेश रूपरेखा का अभिन्न अंग होंगे। मॉर्निंगस्टार इंडिया के निदेशक-प्रबंधक शोध कौस्तुभ बेलापुरकर ने कहा कि हरित कोषों में ज्यादातर निवेश नई कोष पेशकश (एनएफओ) के जरिए आया है। 2020-21 में इन कोषों में उल्लेखनीय प्रवाह देखने को मिला था। इसकी वजह है कि उस साल कई ईएसजी कोष शुरू हुए थे।
रिलेटिविटी इन्वेस्टमेंट एडवाइजर्स के प्रबंध भागीदार नकुल झावेरी ने कहा, ‘‘वृहद और सूक्ष्म दोनों कारणों की वजह से बाजार में अभी उतार-चढ़ाव है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘परिभाषा के लिहाज से हरित कोषों की प्रकृति दीर्घावधि की होनी चाहिए। इन कोषों को दीर्घावधि के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को समझना होगा और कोविड बाद की परिस्थिति में अधिक मजबूती दिखानी होगी। इस तरह के कोष हमेशा कम उतार-चढ़ाव वाले होते हैं।’’
बेलापुरकर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर सतत या हरित कोषों में निवेश का प्रवाह तेजी से जारी है। इन कोषों में दिसंबर, 2021 तक निवेश का आंकड़ा 2,700 अरब डॉलर को पार कर गया था। ‘‘भारत में ईएसजी की शुरुआत अभी नई है लेकिन पिछले कुछ साल के दौरान ऐसे कई कोष शुरू हुए हैं जिनसे निवेशकों को निवेश का विकल्प मिला है।’’