Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jun, 2020 01:26 PM
कोरोना संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही हैं। एक ओर महंगाई दूसरी ओर सेविंग पर ब्याज दरें लगातार कम हो रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईपीएफओ की तरफ से एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।
नई दिल्लीः कोरोना संकट में आम आदमी की मुश्किलें रोजाना बढ़ती जा रही हैं। एक ओर महंगाई दूसरी ओर सेविंग पर ब्याज दरें लगातार कम हो रही हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईपीएफओ की तरफ से एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। इसके पीछे मुख्य वजह निवेश पर घटते रहने वाले रिटर्न को बताया जा रहा है, जिसके चलते प्रॉविडेंट फंड पर दिए जाने वाले ब्याज को घटाने पर विचार किया जा रहा है।
बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 के पीएफ दरें 8.65 फीसदी से घटाकर 8.50 फीसदी कर दी गई है लेकिन अभी तक उसे वित्त मंत्रालय से मंजूरी नहीं मिल सकी है। श्रम मंत्रालय इसके बारे में तभी नोटिफाई करेगा, जब वित्त मंत्रालय इसे अपनी मंजूरी दे देता है।
होने वाली है एक अहम बैठक
अंग्रेजी के अखबार इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि ब्याज दरों पर फैसला लेने के लिए ईपीएफओ का फाइनेंस विभाग, इन्वेस्टमेंट विभाग और ऑडिट कमेटी जल्द बैठक करने वाले हैं। इसमें ये तय किया जाएगा कि ईपीएफओ कितना ब्याज दर देने की हालत में है। आपको बता दें कि EPFO अपने कुल फंड का 85 फीसदी हिस्सा डेट मार्केट (बॉन्ड्स) में और 15 फीसदी हिस्सा एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETF) के जरिए शेयर बाजार में लगाता है। पिछले साल मार्च के अंत में इक्विटीज में EPFO का कुल निवेश 74,324 करोड़ रुपए का था और उसे 14.74% का रिटर्न मिला था।
क्यों ब्याज दरें घटेंगी?
EPFO ने 18 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया है। इसमें से करीब 4500 करोड़ रुपए एनबीएफसी कंपनी दीवान हाउसिंग और आईएलएंडएफएस में लगाए गए हैं। डीएचएफएल जहां बैंकरप्सी रिजॉल्यूशन प्रॉसेस से गुजर रही है, वहीं IL&FS को बचाने के लिए सरकारी निगरानी में काम चल रहा है। ऐसे में EPFO की बड़ी रकम फंस गई है।