विश्व बैंक का अनुमान: अगले वित्त वर्ष में 7.5 से 12.5% तक रह सकती है आर्थिक वृद्धि दर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 31 Mar, 2021 12:07 PM

world bank estimates economic growth rate to be 7 5 to 12 5

विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2021-2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 फीसदी से 12.5 फीसदी तक सीमित रहेगी। विश्व बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि वृद्धि दर 10 फीसदी से थोड़ी ऊपर रह सकती है। विश्व बैंक की ''दक्षिण एशिया वैक्सीनेट्स'' नाम...

बिजनेस डेस्कः विश्व बैंक ने अनुमान जताया है कि वित्त वर्ष 2021-2022 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 फीसदी से 12.5 फीसदी तक सीमित रहेगी। विश्व बैंक के एक अधिकारी ने कहा कि वृद्धि दर 10 फीसदी से थोड़ी ऊपर रह सकती है। विश्व बैंक की 'दक्षिण एशिया वैक्सीनेट्स' नाम से जारी रिपोर्ट में कहा गया, 'महामारी के चलते वैश्विक अनिश्चितता को देखते हुए, वित्त वर्ष 2021-22 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7.5 से 12.5 फीसदी तक हो सकती है। टीकाकरण अभियान कैसे आगे बढ़ते हैं, इस पर वृद्धि दर निर्भर रहेगी।'

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आईएमएफ ने भी जताया अनुमान 
वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने 2021-22 के दौरान भारत की विकास दर 11.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। आईएमएफ के मुताबिक, महामारी से भारत बुरी तरह प्रभावित हुआ, लेकिन कंपनियों से झटकों से उबरते हुए अब गतिविधियां शुरू कर दी हैं। इसका सकारात्मक असर विकास दर पर देखने को मिलेगा। 

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सकारात्मक हो सकती है वृद्धिः IMF
आईएमएफ ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से सुधार के रास्ते पर है। हालांकि, कोरोना संक्रमण के फिर से बढ़ रहे मामलों को देखते हुए लागू होने वाले लॉकडाउन से सुधार को झटका लग सकता है। आईएमएफ के प्रवक्ता गैरी राइस ने एक सम्मेलन में कहा कि कोरोना महामारी के झटकों से उबर रही भारतीय अर्थव्यवस्था सुधार की राह पर आगे बढ़ रही है। 2020 की चौथी तिमाही में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि फिर से सकारात्मक हो सकती है, जो महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार होगा। इसकी प्रमुख वजह सकल और स्थिर पूंजी में बढ़ोतरी है। 

विश्व बैंक के साथ अगले महीने होने वाली बैठक से पहले राइस ने कहा कि इस साल की पहली तिमाही में पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) व्यापार और अन्य आंकड़े लगातार सुधार के संकेत दे रहे हैं। हालांकि, कोरोना महामारी की दूसरी लहर और स्थानीय स्तर पर कई शहरों में लॉकडाउन के कारण कुछ जोखिम जरूर पैदा हुए हैं। इसका असर आर्थिक और कारोबारी गतिविधियों पर पड़ सकता है, जिससे सुधार की राह पर चल रही भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका लग सकता है। 
 

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