Edited By jyoti choudhary,Updated: 27 May, 2019 03:44 PM
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से दरों में कटौती का फिर से ऐलान किया जा सकता है। आरबीआई की द्विमासिक नीति की घोषणा 6 जून 2019 को होगी।
नई दिल्लीः पीएम मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से दरों में कटौती का फिर से ऐलान किया जा सकता है। आरबीआई की द्विमासिक नीति की घोषणा 6 जून 2019 को होगी। इस दौरान एक बार फिर से आरबीआई अपनी दरों में कटौती का ऐलान कर सकता है। रिजर्व बैंक की तरफ से दरों में कटौती से बैंकों को कर्ज पर लगने वाली ब्याज दरों में कटौती करने में सहूलियत हो जाती है जिससे आम लोगों को सस्ती दरों पर कर्ज मिल जाते हैं। औद्योगिक जगत की तरफ से सस्ती दरों पर कर्ज की मांग की जा रही है। वहीं, नई सरकार मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए निर्माण की लागत को कम करना चाहती है। ऐसे में, 6 जून को आरबीआई की तरफ से दरों में कटौती की संभावना दिख रही है।
रेपो रेट में हो सकती है इतनी कमी
पहली बार रेपो रेट 25 के गुणांक में कम नहीं होगा। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि बैंक 35 बेसिस प्वाइंट तक की कमी कर सकता है। केंद्रीय बैंक अपनी तरफ से हर तरह की कोशिश कर रहा है, जिससे बाजार में पूंजी की तरलता कायम रहे।
फिलहाल यह है रेपो रेट
अभी रेपो रेट 6 फीसदी पर है। दास ने कहा कि वो रेपो रेट पर फैसला लेंगे कि उनको और कम किया जाए, ताकि लोगों को इसका फायदा मिले। हालांकि अगर किसी और पार्टी की सरकार बनती तो फिर वो ब्याज दरों को बढ़ाने का फैसला भी ले सकते हैं।
अभी कुछ बैंकों ने घटाया ब्याज दर
हालांकि आरबीआई द्वारा अप्रैल में रेपो रेट घटाने के बाद कुछ ही बैंकों ने इसका लाभ लोगों को दिया था। सिंडीकेट बैंक के एमडी और सीईओ मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि अन्य बैंकों को भी अपने ब्याज दरों में कमी करनी चाहिए, ताकि आरबीआई द्वारा रेपो रेट में की गई कमी का लाभ सभी लोगों को मिल सके।
ईंधन की कीमतों में तेजी की आशंका
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 की पहली तिमाही में मौद्रिक नीति में नरमी के साथ कर्ज नियमों में ढील देने और चुनावी खर्च बढ़ने से 2019-20 की पहली छमाही में वृद्धि को कुछ गति मिलेगी। आने वाले महीनों में और खासकर मानसून के सामान्य से कमजोर रहने के अनुमान के मद्देनजर खाद्य पदार्थ और ईंधन की कीमतों में तेजी आने की आशंका है। इससे हेडलाइन महंगाई दर (सकल महंगाई दर) 5 फीसदी के स्तर को पार कर सकती है। 2019 में महंगाई दर औसतन 4.2 फीसदी और 2020 में 5.3 फीसदी रहने का अनुमान है।